Pitru Paksha (Ptar Pak) 2023: जाने क्यों मनाया जाता है पितृ पक्ष (पितर पक), जानें इसका महत्व और श्राद्ध की विधि ! || Why Pitra Paksha is celebrated, know its importance and the method of Shraddha!
हिंदु धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार, इस अवधि में पितरों की पूजा और उनका तर्पण किया जाता है. पितृ पक्ष पितरों को समर्पित है. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. इस दौरान नई चीजों की खरीद पर भी रोक लग जाती है. पितृ पक्ष यानी पितर पाक 16 दिनों तक रहता है. यह आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक का समय पितर पाक अथवा श्राद्ध या महालय पक्ष कहलाता है. आज हम इस लेख के माध्यम से यह समझने का प्रयास करेंगे की आखिर पितृ पक्ष (पितर पक) क्यों मनाया जाता है. पितर पक के दौरान क्या करते है? पितर पाक में क्या सावधानिया बरतनी चाहिए? पितर पाक कैसे मनाते है क्या है इसका श्राद्ध विधि?
पितृ पक्ष (पितर पक) क्या होता है? | What is Pitra Paksha in hind know all about it
'श्राद्ध' शब्द 'श्रद्धा' से बना है, जो श्राद्ध का प्रथम अनिवार्य तत्व है यानी पितरों के प्रति हमारी श्रद्धा. हिंदू समाज में पितृ पक्ष (श्राद्ध) पूर्वजों की याद में मनाया जाता है. पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना महत्वपूर्ण है. इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंश को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध न करने से पितृदोष लगता है. पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता है. इस अवधि के 16 दिन पितरों अर्थात श्राद्ध कर्म के लिए विशेष रूप से निर्धारित किए गए हैं. यही अवधि पितृ पक्ष के नाम से जानी जाती है.
आखिर क्यों मनाया जाता है पितृ पक्ष? पितर पाक में पूर्वजो के श्राद्ध भोग को इतना महत्व क्यों? |Know why Pitru Paksha is celebrated in Hindi?
हिंदू समाज में पितृ पक्ष (श्राद्ध) पूर्वजों की याद में मनाया जाता है. इसका शुरूवात भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा तिथि से आरंभ होता है, तथा कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं, को समापन होता है. पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना महत्वपूर्ण है. इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंश को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध न करने से पितृदोष लगता है.
क्यों की जाती है पितृपूजा? पितृ पक्ष में किए गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है तथा कर्ता को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है. आत्मा की अमरता का सिद्धांत तो स्वयं भगवान श्री कृष्ण गीता में उपदेशित करते हैं. आत्मा जब तक अपने परम-आत्मा से संयोग नहीं कर लेती, तब तक विभिन्न योनियों में भटकती रहती है और इस दौरान उसे श्राद्ध कर्म में संतुष्टि मिलती है. शास्त्रों में देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी कहा गया है. यही कारण है कि देवपूजन से पूर्व पितर पूजन किए जाने का विधान है.
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कैसे करे पितृ पक्ष में श्राद्ध - श्राद्ध की विधि | How to perform Shraddha in Pitru Paksha - Method of Shraddha
- हिंदू-शास्त्रों के अनुसार मृत्यु होने पर मनुष्य की जीवात्मा चंद्रलोक की तरफ जाती है और ऊंची उठकर पितृ लोक में पहुंचती है. इन मृतात्माओं को अपने नियत स्थान तक पहुंचने की शक्ति प्रदान करने के लिए पिंडदान और श्राद्ध का विधान है.
- शास्त्रों में श्राद्ध के लिए गया शहर का विशेष महत्व है. इस दौरान पितरों को तृप्त करने के लिए पिंडदान और ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है. गया जैसे पवित्र स्थल पर यह अधिक प्रमुखता से किया जाता है. हालांकि, घर में श्राद्ध करने की भी प्रक्रिया है, इसके लिए सूर्योदय से पहले स्नान करके, साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद श्राद्ध करें, पानी में दूध, जौ, चावल और गंगाजल डालकर तर्पण करे.और फिर दान करना चाहिए.
- इस दिन गाय, कौआ, कुत्ता और चींटी को भी खाना खिलाना चाहिए, शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होता है.
- पितृ पक्ष न केवल हमारी पूर्वजों की याद को जिंदा रखने का समय है, बल्कि यह हमें अपने धार्मिक कर्तव्यों की पूर्ति करने का अवसर भी प्रदान करताहै.
पितृ पक्ष में हमें क्या करना चाहिए? | What should we do in Pitru Paksha in hind?
- पितृपक्ष में पितरों का तर्पण के लिए पानी में काला तिल, फूल, दूध और कुश जरूर मिलाएं. माना जाता है कि कुश के इस्तेमाल से पितर जल्द ही तृप्त होते हैं.
- पितृपक्ष के दिनों में पितरों के लिए रखे गए भोजन को बाद में गाय, कौआ, कुत्ता आदि को खिला दें. हिंदू धर्म में मान्यता है कि इनके माध्यम से यह भोजन पितरों तक पहुंच जाता है.
- पितृपक्ष के दौरान रोजाना स्नान के तुरंत बाद जल से ही पितरों को तर्पण करें. इससे उनकी आत्माएं जल्द तृप्त होती हैं और आशीर्वाद देती हैं. इसके अलावा यदि आप अपने पितरों का तर्पण करते हैं, तो ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें.
पितृपक्ष में क्या नहीं करना चाहिए ? | What should not be done during Pitru Paksha?
- पितृपक्ष के दिनों में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि के सेवन से बचना चाहिए. साथ ही इन दिनों अपने घर के बुजुर्गों और पितरों का अपमान न करें. इससे पितर नाराज हो जाते हैं, और पितृ दोष लग सकता है.
- पितृपक्ष के दौरान किसी भी तरह के धार्मिक या मांगलिक कार्य जैसे- मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे शुभ कार्य नही करना चाहिए.
- इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान नहीं करना चाहिए. हालांकि देवताओं की नित्य पूजा को बंद नहीं करना चाहिए.
- श्राद्ध के दौरान पान खाने, तेल लगाने और संभोग की मनाही है. इस दौरान रंगीन फूलों का इस्तेमाल भी वर्जित है.
- पितृ पक्ष में चना, मसूर, बैंगन, हींग, शलजम, मांस, लहसुन, प्याज और काला नमक भी नहीं खाया जाता है.
- इस दौरान कई लोग नए वस्त्र, नया भवन, गहने या अन्य कीमती सामान नहीं खरीदते हैं.
आखिर क्यों श्राद्ध का भोजन दोपहर के समय कराया जाता है? जाने इसकी वजह | What is the reason for Shraddha food served in the afternoon in Hindi?
शास्त्रों के अनुसार सुबह और शाम का समय देव कार्य के लिए, घोर अंधेरे का समय आसुरी और नकारात्मक शक्तियों की प्रबलता का और दोपहर का समय पितरों के लिए बताया है. इसके अलावा पितृ लोक, मृत्युलोक और देवलोक के बीच और चंद्रमा के ऊपर स्थित बताया गया है. मध्य समय पितरों को समर्पित होने के कारण श्राद्ध का भोज दोपहर के समय में खिलाकर उन्हें समर्पित किया जाता है.
पितर पख के समय 15 दिन के लिए आत्मा को मुक्ति देते हैं यमराज | Yamraj gives salvation to the soul for 15 days during Pitra Pakha.
श्राद्ध का अर्थ होता है श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करना. 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष में लोग पितरों का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. जिस किसी के परिजन चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है. पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते है, और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं. पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है. पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति बनी रहती है.
आखिर पितृ पक्ष (पितर पख) में क्यों कराया जाता है कौवों को भोजन? | Why are crows fed during Pitru Paksha in hindi?
वैसे तो लोग कौवों का घर आना अशुभ मानते हैं, परन्तु पितृ पक्ष के दौरान लोग इनका इंतजार करते हैं. इसके पीछे की कहानी यह है कि अगर पितृ पक्ष के दिनों में कौआ उसके लिए निकाले गए भोजन के अंश को ग्रहण कर लेता है, तो पितर तृप्त हो जाते हैं. मान्यता है कि कौआ के द्वारा खाया गया भोजन सीधे पितरों को प्राप्त होता है. इसलिए पितृ पक्ष (पितर पाक) के दौरान कौवों को भोजन कराना शुभ माना जाता है.
पितृ पक्ष और कौवों से जुड़ी पौराणिक कथा | Mythological story related to Pitru Paksha and crows in Hindi
पितृ पक्ष और कौवों के बीच के संबंध के पीछे एक पौराणिक कथा है. कथा के अनुसार इन्द्र के पुत्र जयन्त ने सबसे पहले कौवे का रूप धारण किया था. यह कथा त्रेतायुग की है, जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया था और जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारा था. तब भगवान श्रीराम ने तिनके का बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी. जब उसने अपने किए की माफी मांगी, तब राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया भोजन पितरों को मिलेगा. तभी से श्राद्ध में कौवों को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है. यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में कौवों को ही पहले भोजन कराया जाता है.
पितृपक्ष में क्यों नहीं होते हैं मांगलिक कार्य | Why are auspicious works not done during Pitru Paksha?
इन दिनों में पितरो को भोजन अर्पित किया जाता है. इसके अलावा उनकी तिथि पर बह्मणों को भोज कराया जाता है. इन 15 दिनों में कोई शुभ कार्य जैसे, गृह प्रवेश, कानछेदन, मुंडन, शादी, विवाह नहीं कराए जाते. इसके साथ ही इन दिनों में न कोई नया कपड़ा खरीदा जाता और न ही पहना जाता है. पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पिंडदान, हवन भी कराते हैं.
पितृ पक्ष में क्यों नहीं खरीदी जाती कोई नई चीज? जानिए इसकी वजह - मान्यताओं के मुताबित पितृ पक्ष के दौरान कभी भी सोना या चांदी के आभूषण नहीं खरीदने चाहिए. इसके अलावा आप शादी की शॉपिंग भी शुभ नहीं मानी जाती. इस दौरान कोई भी शुभ कार्यों की भी मनाही होती है.
पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व | Importance of Shraddha in Pitru Paksha in Hindi?
पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना महत्वपूर्ण है. पौराणिक मान्यता अनुसार, हमारी पिछली तीन पीढ़ियों की आत्माएं स्वर्ग और पृथ्वी के बीच स्थित 'पितृ लोक' में रहती हैं. पितृलोक में अंतिम तीन पीढ़ियों को ही श्राद्ध किया जाता है. इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंश को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध न करने से पितृदोष लगता है.
गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृ पूजन से संतुष्ट होकर पितर मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, पशु, सुख, धन और धान्य देते हैं. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, श्राद्ध से तृप्त होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, संतति, धन, विद्या सुख, राज्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं. ब्रह्मपुराण के अनुसार जो व्यक्ति शाक के द्वारा भी श्रद्धा-भक्ति से श्राद्ध करता है, उसके कुल में कोई भी दुखी नहीं होता. देवस्मृति के अनुसार श्राद्ध की इच्छा करने वाला प्राणी निरोगी, स्वस्थ, दीर्घायु, योग्य संतति वाला, धनी तथा धनोपार्जक होता है. श्राद्ध करने वाला मनुष्य विविध शुभ लोकों और पूर्ण लक्ष्मी की प्राप्ति करता है.
पितृ पक्ष (पितर पक) से जुड़े सवाल और उनके सवाल | Frequently asked about Pitri Paksha in Hindi
पितृ पक्ष (पितर पक) क्या होता है? | What is Pitru Paksha in Hindi?
हिंदु धर्म में पितृ पक्ष यानी पितर पाक का खास महत्व होता है. पितृ पक्ष, पितरों को याद करने का विशेष पर्व है. शास्त्रों के अनुसार, इस अवधि में पितरों की पूजा और उनका तर्पण किया जाता है. इस दौरान हिंदू परंपरा अनुसार पूर्वजों को याद और उनको तृप्त करने के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं.
वर्ष 2023 में पितृ पक्ष का आरम्भ और समापन कब है? | When does Pitru Paksha start and end in the year 2023?
साल 2023 में 29 सितंबर 2023 से पितृपक्ष की शुरुआत है और इसका समापन 14 अक्टूबर को है.
पितृपक्ष में क्या किया जाता है? | What is done in Pitru Paksha in Hindi?
पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है.
श्राद्ध का अर्थ क्या होता है? | What is the meaning of Shraddha in hindi?
श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धापूर्वक किया हुआ वह संस्कार, जिससे पितरों को संतुष्टि प्राप्त होती है. अर्थात अपने देवताओं, पितरों, परिवार और वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करना है.
पितृ पक्ष (पितर पक) का शुभ मुहूर्त क्या होता है? | What is the auspicious time of Pitru Paksha in Hindi?
भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृ पक्ष कहा जाता है.
पितृ पक्ष (पितर पाक) कितने दिनों तक का होता है? | How many days does Pitru Paksha last in Hindi?
पितृ पक्ष यानी पितर पाक 16 दिनों तक रहता है. यह आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक का समय पितर पाक अथवा श्राद्ध या महालय पक्ष कहलाता है.
पितर पक्ष में पितर का क्या मतलब होता है? | What does Pitra mean in Pitra Paksha in Hindi?
पितर का अर्थ होता है पालन या रक्षण करने वाला.
पितर पाक में क्या किया जाता है? | What is done in Pitra Pak in Hindi ?
पितर पक (पितृ पक्ष) के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है.
पितर कीन्हे कहा जाता है? | Who are called ancestors in hindi?
जिस किसी के परिजन चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है.
पितृ पक्ष को किन किन दूसरे नामो से जाना जाता है? | Pitru Paksha is known by what other names?
पितृ पक्ष को पितर पक, श्राद्ध पक्ष महालय और पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही 'सोलह श्राद्ध', 'महालय पक्ष', 'अपर पक्ष' आदि नामों से भी जाना जाता है.
पितर पख में क्या करते है? | What is done during Pitar Paksha in Hindi?
पितृ पक्ष या पितरपख, 16 दिन की वह अवधि (पक्ष/पख) है जिसमें हिन्दू धर्म के लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं, और उनके लिये पिण्डदान करते हैं. इसे 'सोलह श्राद्ध', 'महालय पक्ष', 'अपर पक्ष' जैसे नामों से भी जाना जाता है.
पितर पाक कितने दिन का होता है? | Pitru Paksha is of how many days in hindi?
पूर्वजों को समर्पित यह विशेष समय आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से प्रारंभ होकर अमावस्या तक के 15 दिनों की अवधि पितृ पक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष कहलाती है.
पितृ पक्ष में किसी की मृत्यु होने पर क्या होता है? | What happens when someone dies in Pitru Paksha?
धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में किसी की मृत्यु हो जाए तो इसे शुभ माना जाता है. मान्यता है कि श्राद्ध के दिनों में अगर किसी की मृत्यु होती है तो वह व्यक्ति भाग्यशाली होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पितृ पक्ष में किसकी पूजा करनी चाहिए? | Who is worshiped in Pitru Paksha in Hindi?
कहा जाता है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से भी पितरों को शांति मिलती हैं. ऐसे में अगर आप पितृ पक्ष के दिनों में बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं और जल में काले तिल मिलाकर चढ़ाते हैं तो आपको पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है. पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए बेल पत्र का पौधा भी आपके बेहद काम आ सकता है.
घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए? | Where should the ancestors' place be in the house in hindi?
ऐसे में पितरों की तस्वीर हमेशा उत्तर दिशा की तरफ ही लगानी चाहिए. साथ ही पितरों का मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए. वहीं बेडरूम या फिर ड्राइंग रूम में पितरों की फोटो नहीं लगानी चाहिए. माना जाता है कि इस जगह पर पितरों की फोटो रखने से घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर असर होता है.
पितरों के लिए कौन सा दीपक लगाना चाहिए? | Which lamp should be lit for ancestors in pitru Paksha in Hindi?
ईशान कोण में जलाएं घी का दीपक: रोजाना घर के ईशान कोण (उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा) में गाय के घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी आप पर कृपा बरसाएंगी. इससे घर में कभी आर्थिक समस्याएं नहीं होती हैं. रोज ऐसा करने से पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं और पितरों के आशीर्वाद से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
पितरों को भोजन कैसे दिया जाता है? | How is food given to ancestors in pitru Paksha in Hindi?
स्कंद पुराण के अनुसार देवता और पितर गंध और रस तत्व से भोजन ग्रहण करते हैं. पितृ पक्ष में परिजन जो श्राद्ध का भोजन बनाते है, उसे अग्नि को समर्पित करना चाहिए. इस अन्न के सार तत्व से पितर भोजन ग्रहण करते हैं शेष सामग्री अग्नि कुंड में ही रह जाती है.
पितरों को जल कितने बजे देना चाहिए? | At what time should water be given to ancestors in Pitru Paksha in Hindi?
ऐसा माना जाता है कि अंगूठे से पितरों को जल अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के जिस भाग पर अंगूठा होता है, उसे पितृ तीर्थ कहा जाता है। पितरों को जल तर्पण करने का समय सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच है.
पितरों को क्या खिलाना चाहिए? | What should be fed to the ancestors in Pitru Paksha in Hindi ?
इसके अलावा पितरों के लिए उनकी पसंद का भोजन और एक चीज उड़द की दाल की बनाई जाती है. उड़द की दाल के बड़े, चावल ,दूध, घी से बने पकवान व मौसम की सब्जियां व मौसम में जो सब्जी बेल पर लगती है जैसे झींगा, लौकी, कद्दू, कुम्हडा, भिंडी कच्चे केले यह सभी चीजें बनानी चाहिए. श्राद्ध के दौरान बना हुआ भोजन पांच जगह निकाला जाता है.
पितृ को खुश कैसे करें? | How to please ancestors in Pitru Paksha in Hindi?
वट वृक्ष को जल देने से . श्राद्ध के दौरान 15 दिनों तक या उनकी मृत्यु की तिथि पर अपने पितरों को जल अर्पित करने से. प्रत्येक अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. प्रत्येक "अमावस्या" और "पूर्णिमा" पर किसी मंदिर या अन्य धार्मिक स्थानों पर खाद्य पदार्थ दान करने से.
पितरों को मुक्ति कैसे दिलाएं? | How to liberate the ancestors during shraadh in Pitru Paksha in Hindi?
पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए विधि-विधान से तर्पण और श्राद्ध करें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें. साथ ही वर्ष की प्रत्येक एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या पर पितरों को जल तर्पण करें और त्रिपंडी श्राद्ध करें. पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रतिदिन दोपहर के समय पीपल के वृक्ष की पूजा करें.
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