Sant Ravidas: श्री संत शिरोमणि रविदास कौन थे? संत रविदास जयंती क्यों मनाई जाती हैं | Know all about Sant Shree Shiromani Ravidas in hindi

Sant Shiromani Shree Ravidas: जानिये संत रविदास कौन थे? संत रविदास जयंती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी|| Why is Sant Ravidas Jayanti celebrated? Birth, deaths, family, work in hindi


संत कुलभूषण कवि संत शिरोमणि रविदास उन महान सन्तों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान किया. इनकी रचनाओं की विशेषता लोक-वाणी का अद्भुत प्रयोग रही है जिससे जनमानस पर इनका अमिट प्रभाव पड़ता है. प्राचीनकाल से ही भारत में विभिन्न धर्मों तथा मतों के अनुयायी निवास करते रहे हैं. इन सबमें मेल-जोल और भाईचारा बढ़ाने के लिए सन्तों ने समय-समय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है. ऐसे सन्तों में शिरोमणि रविदास का नाम अग्रगण्य है. 
संत रविदास जी भारत के उन चुनिंदा महापुरुषों में से एक हैं, जिन्होंने अपने रूहानी वचनों से सारे संसार को एकता, भाईचारा पर जोर दिया. इन्होंने जीवन भर समाज में फैली कुरीति जैसे जात पात के अंत के लिए काम किया. आज हम इस लेख के माध्यम से संत रविदास से जुडी जानकारी के बारे में जानेंगे. उनका जीवन परिचय देखेंगे. संत रविदास से संबधित सभी सवालो को जानेंगे जैसे की संत रविदास की जीवनी, संत रविदास कौन थे, संत रविदास जयंती क्यों मनाई जाती हैं और कैसे मनाई जाती हैं, संत रविदास से संबंधित तथ्य, संत रविदास की जीवनी, संत रविदास की मृत्यु, गुरु रविदास जी के लिये स्मारक, संत रविदास कौन थे इत्यादि.

संत रविदास जयंती 2023 || Sant Ravidas Jayanti 2023 in hindi 

गुरु रविदास जयंती ( Ravidas Jayanti 2023 ) माघ मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. संत रविदास की जन्मतिथि को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. कुछ क्रांतिकारियों का मानना ​​है कि संत रविदास का जन्म 1398 के समय में हुआ था, जबकि कुछ का कहना है कि यह 1482 की घोषणा के समय हुआ था. वह एक टकसाल-संत, एक वामपंथी और एक आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में आया, जिसने रविदासिया धर्म का नवाचार किया. लोग इस दिन पवित्र स्नान करते हैं और देवता का आशीर्वाद लेने के लिए विशेष आरती करते हैं. इस बार रविदास जयंती 5 फरवरी को मनाई जाएगी.

संत शिरोमणि रविदास कौन थे? | sant shiromani ravidaas kaun the? | Know who was Saint Shiromani Ravidas?
संत रविदास जयंती क्यों मनाई जाती हैं? | Know all about Sant Ravidas Jayanti in hindi 

संत शिरोमणि रविदास कौन थे? इनके बारे में आपको क्या जानकारी है? || Know Who was Sant Ravidas in hindi?

[Sant Ravidas kaun the?] => संत रविदास एक विख्यात संत कवि थे. संत रविवास जी बहुत ही धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे. इन्होंने आजीविका के लिए अपने पैतृक कार्य को अपनाते हुए हमेशा भगवान की भक्ति में हमेशा ही लीन रहा करते थे. इनक जन्म स्थल बनारस है. मध्ययुगीन साधको में इनका विशिष्ठ स्थान था. संत रविदास, रैदास के नाम से विख्यात है. अधिकांश लोग उन्हें रैदास के नाम से ही जानते है. इनका मुख्य पेसा मोची का काम था. 
रविदास भारत के एक महान संत, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे. ईश्वर के प्रति अपने असीम प्यार और अपने चाहने वाले, अनुयायी, सामुदायिक और सामाजिक लोगों में सुधार के लिये अपने महान कविता लेखनों के जरिये संत रविदास ने विविध प्रकार की आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश दिये. रैदास रामानन्द की संत परम्परा से दीक्षित हुए. रामानन्द के बारह शिष्यो में रैदास भी माने जाते है. रैदास की विचारधारा और सिद्धान्त संत-मंत की परंपरा के अनुरूप ही है. उनके अनुसार परम तत्व सत्य है जो अनिवर्चनीय है. उनका ज्ञान, साधना और अनुभूति पर आधारित था. (All about Sant Ravidas in hindi)
संत रविदास आपने पदों में कबीर और सेन का उल्लेख किया है. रैदास के पद गुरु ग्रन्थ साहब और संत वाणी में संकलित है. धन्ना, नाभादास, मीराबाई, प्रियादास ने भी इनका नामोल्लेखन सम्मानपूर्वक किया है. ऐसी मान्यता है कि मीरा उनकी शिष्या थी. सच्चाई चाहे जो भी हो इतना तो स्पष्ट है रैदास का महत्व सबने स्वीकार किया है. (Sant Ravidas kaun the - who was sant shiromani ravidas in hindi?)

संत रविदास की जीवनी || The total Biography of Sant Ravidas in hindi 

[Sant Ravidas ke janm se sambadhit] => रैदास नाम से विख्यात संत रविदास का जन्म सन् 1377 में बनारस में हुआ था. संत रविदास का जन्म जिस गांव में हुआ था उस गांव का नाम सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी, यूपी है. लेकिन इनके जन्म को लेकर बहुत मदभेद है, कुछ लोग के अनुसार सन् 1398 में कहते है. कुछ अध्येता के आँकड़ों के अनुसार ऐसा अनुमान लगाया गया था कि रविदास का पूरा जीवन काल 15वीं से 16वीं शताब्दी सीइ में 1450 से 1520 के बीच तक रहा. गुरू रविदास जी का जन्म काशी में हुआ था. जिसे आज वाराणसी के नाम से जाना जाता है. उनके पिता का नाम संतो़ख दास (रग्घु) और माता का नाम कलसा देवी है. संत रविदास चमार जाति के थे. 
पिता: श्री संतोक दास जी
माता: श्रीमती कालसा देवी जी
दादा: श्री कालूराम जी
दादी: श्रीमती लखपती जी
पत्नी: श्रीमती लोनाजी
पुत्र: विजय दास जी
मृत्यु: वाराणसी में 1540 एडी में
[Sant Ravidas Jeevan Parichay] => रविदास के पिता मल साम्राज्य के राजा नगर के सरपंच थे, और खुद जूतों का व्यापार और उसकी मरम्मत का कार्य करते थे. अपने बचपन से ही रविदास बेहद बहादुर और ईश्वर के बहुत बड़े भक्त थे लेकिन बाद में उन्हें उच्च जाति के द्वारा उत्पन्न भेदभाव की वजह से बहुत संघर्ष करना पड़ा जिसका उन्होंने सामना किया और अपने लेखन के द्वारा रविदास ने लोगों को जीवन के इस तथ्य से अवगत करवाया. उन्होंने हमेशा लोगों को सिखाया कि अपने पड़ोसियों को बिना भेद-भेदभाव के प्यार करो. (Sant Ravidas ke jeevan se judi jaanakari hindi me)
प्रारम्भ से ही रविदास जी बहुत परोपकारी तथा दयालु थे, और दूसरों की सहायता करना उनका स्वभाव था. रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था. जूते बनाने का काम उनका पिता व्यवसाय था और उन्होंने इसे सहर्ष अपनाया. साधु-सन्तों की सहायता करने में उनको विशेष आनन्द मिलता था. वे उन्हें कभी कभी मूल्य लिये बिना जूते भेंट कर दिया करते थे. उनके स्वभाव के कारण उनके माता-पिता उनसे क्रोधी रहते थे. कुछ समय बाद उन्होंने रविदास तथा उनकी पत्नी को अपने घर से बहार दिया. रविदास जी पड़ोस में ही अपने लिए एक अलग ईमारत बनाकर तत्परता से अपने व्यवसाय का काम करते थे, और शेष समय ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे. (Sant Shiromani Ravidas ki jeevan gatha hindi me)

संत रविदास जी को कहा और किस नाम से जाना जाता है? || What are the other name of Sant Ravidas in hindi?

[Various names of Sant Ravidas] => रविदाजी को पंजाब में रविदास कहा. उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में उन्हें रैदास के नाम से ही जाना जाता है. गुजरात और महाराष्ट्र के लोग 'रोहिदास' और बंगाल के लोग उन्हें ‘रुइदास’ कहते हैं. कई पुरानी पांडुलिपियों में उन्हें रायादास, रेदास, रेमदास और रौदास के नाम से भी जाना गया है. कहते हैं कि माघ मास की पूर्णिमा को जब रविदास जी ने जन्म लिया वह रविवार का दिन था, जिसके कारण इनका नाम रविदास रखा गया. उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा को हुआ था. संत रविदास को गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास, रोहिदास, सतगुरु और जगतगुरु आदि नामों से पुकारा जाता है.

संत रविदास का वैवाहिक जीवन के बारे में जानकारी || Information about the married life of Sant Ravidas in hindi 

[Sant Ravidaas ka vaivaahik jeevan ke baare mein jaanakari] => भगवान के प्रति उनके प्यार और भक्ति की वजह से रविदास अपने पेशेवर पारिवारिक व्यवसाय से नहीं जुड़ पा रहे थे और ये उनके माता-पिता की चिंता का बड़ा कारण था. अपने पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ने के लिये इनके माता-पिता ने इनका विवाह काफी कम उम्र में संत रविदास जी का विवाह 16 वर्ष की आयु में लोना के साथ कर दिया गया था इनके पिता जी ने इनका ध्यान गृहस्थी की ओर लगाने के लिए विवाह किया था परंतु रविदास जी अपने भक्ति में लगे रहते थे विवाह के कुछ समय बाद इन्हें पुत्री की प्राप्ति हुई जिसका नाम विजय दास था. (Sant Shiromani married life in hindi)
शादी के बाद भी संत रविदास सांसारिक मोह की वजह से पूरी तरह से अपने पारिवारिक व्यवसाय के ऊपर ध्यान नहीं दे पा रहे थे. उनके इस व्यवहार से क्षुब्द होकर उनके पिता ने सांसारिक जीवन को निभाने के लिये बिना किसी मदद के उनको खुद से और पारिवारिक संपत्ति से अलग कर दिया. इस घटना के बाद रविदास अपने ही घर के पीछे रहने लगे और पूरी तरह से अपनी सामाजिक मामलों से जुड़ गये. बाद में रविदास जी भगवान राम के विभिन्न स्वरुप राम, रघुनाथ, राजा राम चन्द्र, कृष्णा, गोविन्द आदि के नामों का इस्तेमाल अपनी भावनाओं को उजागर करने के लिये करने लगे और उनके महान अनुयायी बन गये.(संत रविदास का जीवन परिचय हिंदी में | संत रविदास का जीवन के बारे में जानकारी)

संत रविदास का सकारात्मक नज़रिया || Positive attitude of Saint Ravidas

[Sant Ravidaas ka samaj ke liye nazariya] => रविदास भारत में 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे. वो निर्गुण संप्रदाय अर्थात् संत परंपरा में एक चमकते नेतृत्वकर्ता और प्रसिद्ध व्यक्ति थे तथा उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन को नेतृत्व देते थे. उनके समय में शुद्रों (अस्पृश्य) को ब्राह्मणों की तरह जनेऊ, माथे पर तिलक और दूसरे धार्मिक संस्कारों की आजादी नहीं थी. संत रविदास एक महान व्यक्ति थे जो समाज में अस्पृश्यों के बराबरी के अधिकार के लिये उन सभी निषेधों के खिलाफ थे जो उन पर रोक लगाती थी. उन्होंने वो सभी क्रियाएँ जैसे जनेऊ धारण करना, धोती पहनना, तिलक लगाना आदि निम्न जाति के लोगों के साथ शुरु किया जो उन पर प्रतिबंधित था. (Attitude of Snt Ravidas towards society in hindi?)

सामाजिक मुद्दों में गुरु रविदास की सहभागिता || What was the involvement of Sant Ravidas in social issues?

[Sant Ravidaas ka samaj mein kya sahabhaagita tha?] => वास्तविक धर्म को बचाने के लिये रविदास जी को ईश्वर द्वारा धरती पर भेजा गया था, क्योंकि उस समय सामाजिक और धार्मिक स्वरुप बेहद दु:खद था. क्योंकि इंसानों द्वारा ही इंसानों के लिये ही रंग, जाति, धर्म तथा सामाजिक मान्यताओं का भेदभाव किया जा चुका था. वो बहुत ही बहादुरी के साथ सभी भेदभाव को स्वीकार करते और लोगों को वास्तविक मान्यताओं और जाति के बारे में बताते. वो लोगों को सिखाते कि कोई भी अपने जाति या धर्म के लिये नहीं जाना जाता, इंसान अपने कर्म से पहचाना जाता है. गुरु रविदास जी समाज में अस्पृश्यता के खिलाफ भी लड़े जो उच्च जाति द्वारा निम्न जाति के लोगों के साथ किया जाता था.
[Sant Shree Ravidaas ka samaaj me kya yogdaan] => उनके समय में निम्न जाति के लोगों की उपेक्षा होती थी, वो समाज में उच्च जाति के लोगों की तरह दिन में कहीं भी आ-जा नहीं सकते थे, उनके बच्चे स्कूलों में पढ़ नहीं सकते थे, मंदिरों में नहीं जा सकते थे, उन्हें पक्के मकान के बजाय सिर्फ झोपड़ियों में ही रहने की आजादी थी और भी ऐसे कई प्रतिबंध थे जो बिल्कुल अनुचित थे. इस तरह की सामाजिक समयस्याओं को देखकर गुरु जी ने निम्न जाति के लोगों की बुरी परिस्थिति को हमेशा के लिये दूर करने के लिये हर एक को आध्यात्मिक संदेश देना शुरु कर दिया. (Inhi sab kaarno se hi Sant Ravidas Jayanti mananaa shuru hua)
उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि "ईश्वर ने इंसान बनाया है ना कि इंसान ने ईश्वर बनाया है." अर्थात इस धरती पर सभी को भगवान ने बनाया है, और सभी के अधिकार समान है. इस सामाजिक परिस्थिति के संदर्भ में, संत गुरु रविदास जी ने लोगों को वैश्विक भाईचारा और सहिष्णुता का ज्ञान दिया. गुरुजी के अध्यापन से प्रभावित होकर चितौड़ साम्राज्य के राजा और रानी उनके अनुयायी बन गये. (Sant Ravidas contribution in society in hindi)

संत रविदास जी के पिता के मौत के समय की घटना || Incident at the time of death of Saint Ravidas Ji's father in hindi 

[Sant Ravidaas jee ke pita ke maut ke samay ki ghatana] => रविदास की पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने पड़ोसियों से विनती की कि वो गंगा नदी के किनारे अंतिम रिवाज़ में मदद करें। हालाँकि ब्राह्मण रिती के संदर्भ में खिलाफ थे कि वो गंगा के जल से स्नान करेंगे जो रस्म की जगह से मुख्य शहर की ओर जाता है और वो प्रदूषित हो जायेगा. गुरु जी बहुत दुखी और मजबूर हो गये हालाँकि उन्होंने कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया और अपने पिता की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करने लगे. अचानक से वातावरण में एक भयानक तूफान आया और नदी का पानी उल्टी दिशा में बहना प्रारंभ हो गया और जल की एक गहरी तरंग आयी और लाश को अपने साथ ले गयी. इस भवंडर ने आसपास की सभी चीजों को सोख लिया. तब से, गंगा का पानी उल्टी दिशा में बह रहा है.


संत रविदास जी का मृत्यु कैसे हुआ संत रविदास की मृत्यु कब और कैसे हुई? || How did Saint Shiromani Ravidas die?

[Sant Ravidas ki mrityu kaise aur kab hui?] => समाज में बराबरी, सभी भगवान एक है, इंसानियत, उनकी अच्छाई और बहुत से कारणों की वजह से बदलते समय के साथ संत रविदास के अनुयायीयों की संख्या बढ़ती ही जा रही थी. दूसरी तरफ, कुछ ब्राह्मण और पीरन दित्ता मिरासी गुरु जी को मारने की योजना बना रहे थे इस वजह से उन लोगों ने गाँव से दूर एक एकांत जगह पर मिलने का समय तय किया. किसी विषय पर चर्चा के लिये उन लोगों ने गुरु जी को वहाँ पर बुलाया जहाँ उन्होंने गुरु जी की हत्या की साजिश रची थी हालाँकि गुरु जी को अपनी दैवीय शक्ति की वजह से पहले से ही सब कुछ पता चल गया था.

जैसे ही चर्चा शुरु हुई, गुरु जी उन्ही के एक साथी भल्ला नाथ के रुप में दिखायी दिये जो कि गलती से तब मारा गया था. बाद में जब गुरु जी ने अपने झोपड़े में शंखनाद किया, तो सभी हत्यारे गुरु जी को जिंदा देख भौंचक्के रह गये तब वो हत्या की जगह पर गये जहाँ पर उन्होंने संत रविदास की जगह अपने ही साथी भल्ला नाथ की लाश पायी. उन सभी को अपने कृत्य पर पछतावा हुआ और वो लोग गुरु जी से माफी माँगने उनके झोपड़े में गये.

[Sant Shree Ravidaas jee ka mrityu kaise hua tha?] => जहां तक ​​संत रविदास जी की मृत्यु का प्रश्न है, इसके बारे में दो मत हैं. एक मत के अनुसार उनकी हत्या की गई थी. उन सभी को अपने कृत्य पर पछतावा हुआ और वो लोग गुरु जी से माफी माँगने उनके झोपड़े में गये. हालाँकि, उनके कुछ भक्तों का मानना है कि गुरु जी की मृत्यु प्राकृतिक रुप से 120 या 126 साल में हो गयी थी. कुछ का मानना है उनका निधन वाराणसी में 1540 एडी (Sant Ravidas death date) में हुआ था. माना जाता है की रविदास की मृत्यु 1540 ईस्वी में वाराणसी में हुई थी. रविदास का 120 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. रविदास के अनमोल वचन थे कि कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है. उन्होंने जाती पति और उंच नीच के भेद भाव को दूर करने का प्रयास किया. उनके अनुसार मनुष्य अपने उंच जाति में पैदा होकर महान नहीं होता, बल्कि आदमी का उसका कर्म ही महान बनाता है. (Know How did Sant Shree Ravidaas die in hindi?)


रविदास जयंती साल 2023 में कब है? || Guru Shree Ravidas Jayanti 2023 Date in hindi

रविदास जयंती को माघ महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रविदास्सिया समुदाय के लिए इस दिन वार्षिक उत्सव होता है. वाराणसी में इनके जन्म स्थान ‘श्री गुरु रविदास जनम अस्थान’ में विशेष कार्यक्रम आयोजित होते है. जहाँ लाखों की संख्या में रविदास जी के भक्त वहां पहुँचते है. इस साल रविदास जी की जयंती 5 फरवरी 2022, में मनाई जाएगी, जो उनका 643 वा जन्म दिवस होगा.


संत रविदास जयंती क्यों मनाते हैं? || Why is Sant Ravidas Jayanti celebrated?

[Sant ravidaas jayantee kyon manaate hain?] => संत रविदास जयंती उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो उनकी विचार धारा में विश्वास रखते हैं. अधिकतर लोग गुरु रविदास को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते हैं. अपने गुरु के सम्मान और विचारधारा को चलाए रखने के लिए रविदास जी को गुरु मानने वाले इस दिन उनकी याद में नगर कीर्तन,भजन समारोह, सभाओं का आयोजन करते हैं. संत रविदास जी ने पाखंडवाद, जात-पात, ऊंच नीच के भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया. सभी को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया. संत रविदास जी ने आन उपासना यानी शास्त्र विरुद्ध साधना को भी नकारा. उन्होंने बताया केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं. (Shree sant shiromani ravidas jayanti kyu manai jaati hai?)

[What is reason behind celebrating Sant Ravidas Jayanti in Hindi?] => रविदास जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य संत रविदास जी की शिक्षाओं को याद करना है. रविदास जी को याद करने के लिए रविदास जयंती मनाई जाती है. क्योंकि रविदास जी एक महान कवि और आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों को लेखन और आंदोलन करके के दूर किया था. रविदास जी ने ऐसा कहा है कि मनुष्य की आत्मा ईश्वर का रूप है. रविदास जी ने मनुष्यों को भेदभाव न करने और भाईचारे की नीती अपनाने की शिक्षा दी है. इसलिए हर साल उनके कार्य को याद करने और उन्हें सम्मान देने के लिए रविदास जयंती मनाई जाती है. (Why do we celebrate sant shiromani ravidas ji jayanti in hindi?)


संत रविदास जयंती कैसे मनाया जाता है? इस दिन क्या किया जाता है? || Know how to celebrate Sant Shiromani Ravidas in hindi?

[Sant Ravidaas jayantee kaise manaaya jaata hai?] => रविदास भारत में 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे. वो निर्गुण संप्रदाय अर्थात् संत परंपरा में एक चमकते नेतृत्वकर्ता और प्रसिद्ध व्यक्ति थे, तथा उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन को नेतृत्व देते थे. ईश्वर के प्रति अपने असीम प्यार और अपने चाहने वाले, अनुयायी, सामुदायिक और सामाजिक लोगों में सुधार के लिये अपने महान कविता लेखनों के जरिये संत रविदास ने विविध प्रकार की आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश दिये. वो लोगों की नजर में उनकी सामाजिक और आध्यात्मिक जरुरतों को पूरा करने वाले मसीहा के रुप में थे. आध्यात्मिक रुप से समृद्ध रविदास को लोगों द्वारा पूजा जाता था. हर दिन और रात, रविदास के जन्म दिवस के अवसर पर तथा किसी धार्मिक कार्यक्रम के उत्सव पर लोग उनके महान गीतों आदि को सुनते या पढ़ते है. उन्हें पूरे विश्व में प्यार और सम्मान दिया जाता है, हालाँकि उन्हें सबसे अधिक सम्मान उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्रा में अपने भक्ति आंदोलन और धार्मिक गीतों के लिये मिलता था. 

[Sant Ravidaas jayantee kaise manaate hai?] => पूरी दुनिया में भाईचारा और शांति की स्थापना के साथ ही उनके अनुयायीयों को दी गयी महान शिक्षा को याद करने के लिये भी संत रविदास का जन्म दिवस का मनाया जाता है. अपने अध्यापन के आरंभिक दिनों में काशी में रहने वाले रुढ़ीवादी ब्राह्मणों के द्वारा उनकी प्रसिद्धि को हमेशा रोका जाता था, क्योंकि संत रविदास अस्पृश्यता के भी गुरु थे. सामाजिक व्यवस्था को खराब करने के लिये राजा के सामने लोगों द्वारा उनकी शिकायत की गयी थी. रविदास को भगवान के बारे में बात करने से, साथ ही उनका अनुसरण करने वाले लोगों को अध्यापन और सलाह देने के लिये भी प्रतिबंधित किया गया था. (How do we celebrate Sant Ravidas Jayanti in hindi?)

पूरे भारत में खुशी और बड़े उत्साह के साथ माघ महीने के पूर्ण चन्द्रमा दिन पर माघ पूर्णिमा पर हर साल संत रविदास की जयंती या जन्म दिवस को मनाया जाता है. जबकि; वाराणसी में लोग इसे किसी उत्सव या त्योहार की तरह मनाते है. इस खास दिन पर आरती कार्यक्रम के दौरान मंत्रों के रागों के साथ लोगों द्वारा एक नगर कीर्तन जुलूस निकालने की प्रथा है जिसमें गीत-संगीत, गाना और दोहा आदि सड़कों पर बने मंदिरों में गाया जाता है. रविदास के अनुयायी और भक्त उनके जन्म दिवस पर गंगा- स्नान करने भी जाते है तथा घर या मंदिर में बनी छवि की पूजा-अर्चना करते है. इस पर्व को प्रतीक बनाने के लिये वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर के श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर के बेहद प्रसिद्ध स्थान पर हर साल वाराणसी में लोगों के द्वारा इसे बेहद भव्य तरीके से मनाया जाता है. संत रविदास के भक्त और दूसरे अन्य लोग पूरे विश्व से इस उत्सव में सक्रिय रुप से भाग लेने के लिये वाराणसी आते है. (Sant Ravidaas Jayantee kis prakar manaai jaati hai?)


किसकी भक्ति करने से संत रविदास जी को मोक्ष प्राप्त हुआ? || By worshiping whom did Saint Ravidas ji attain salvation?

[kisakee bhakti karane se sant ravidaas jee ko moksh praapt hua?] => संत रविदास जी परमेश्वर कबीर साहेब जी के साथ रहकर उनके ज्ञान को अच्छे से समझ चुके थे. रामानंद जी से प्रथम चरण की दीक्षा प्राप्त करने के बाद उनकी भक्ति में दृढ़ता को देखकर कबीर साहेब जी ने रविदास जी को सतनाम (दूसरे चरण की दीक्षा) प्रदान की. कबीर साहेब जी की भक्ति इष्ट देव के रूप में करने से ही संत रविदास जी मोक्ष के अधिकारी हुए. 


रविदास स्मारक के बारे में जानकारी || Know all Shree Sant Ravidas smarak park in hindi 

[Sant Ravidaas smaarak ke baare mein jaanakaari] => वाराणसी में रविदास जी की याद में बहुत से स्मारक बनाये गए है. रविदास पार्क, रविदास घाट, रविदास नगर, रविदास मेमोरियल गेट आदि.

वाराणसी में संत रविदास का भव्य मंदिर और मठ है. जहां सभी जाति के लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. वाराणसी में श्री गुरु रविदास पार्क है जो नगवा में उनके यादगार के रुप में बनाया गया है जो उनके नाम पर "गुरु रविदास स्मारक और पार्क" बना है. इनके सम्मान में सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी में श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर स्थित है, जो इनके सम्मान में बनाया गया है पूरी दुनिया में इनके अनुयायीयों द्वारा चलाया जाता है जो अब प्रधान धार्मिक कार्यालय के रुप में है. (All Shree Sant Ravidas smarak park in hindi)

ज्ञानपुर जिले के निकट संत रविदास नगर है जो कि पहले भदोही नाम से था, अब उसका नाम भी संत रविदास नगर है. वाराणसी में पार्क से बिल्कुल सटा हुआ उनके नाम पर गंगा नदी के किनारे लागू करने के लिये गुरु रविदास घाट भी भारतीय सरकार द्वारा प्रस्तावित है. वाराणसी के लंका चौराहे पर एक बड़ा गेट है, जो इनके सम्मान में बनाया गया है. इनके नाम पर देश के साथ ही विदेशों मे भी स्मारक बनाये गये है.

जानिये संत शिरोमणि श्री रविदास से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारियों हिंदी में | Frequently asked questions about Sant Shree Ravidas in hindi


गुरु रविदास जी का जन्म कब और कहां हुआ था? || When and where was Guru Ravidas ji born in hindi?

गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1377 को हुआ था.  गुरु रविदास जी का जन्म वाराणसी के पास सीर गोबर्धनगाँव में हुआ था. 


संत रैदास(रविदास) की मृत्यु कब हुई थी? || When did Sant Raidas die in Hindi? 
सन 1540 => माना जाता है संत रवि दास जी करीब 120 साल तक जीवित रहे. संत रविदास की मृत्यु 1540 ईस्वी में करीब मानी जाती है.

संत रविदास का रविदास नाम क्यों और कैसे पड़ा? || Why and how did Saint Ravidas get the name Ravidas in hindi?
हिंदू पंचांग के अनुसार, गुरु रविदास जी का जन्म माघ माह की पूर्णिमा तिथि को वर्ष 1377 में हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ था, उस दिन रविवार था. इसी के चलते इनका नाम रविदास पड़ा. रविदास जी का जन्म रविवार के दिन होने के कारण उनका नाम रविदास पड़ा.

रविदास का धर्म क्या है? || What is the religion of Sant Ravidas in hindi?
अधिकांश रविदासियां ​​सिख धर्म का पालन करती हैं और श्री गुरु ग्रंथ साहिब में आस्था रखती हैं.

रविदास का गोत्र क्या है? || What is the gotra of Sant Ravidas in hindi?
भगवान रविदास जी ने चमार जाति का अर्थात् चर्मकार समाज के माने जाते है

संत रविदास के दादा, दादी का नाम क्या था? || What was the name of the grandfather and grandmother of Sant Ravidas in hindi?
उनके दादा का नाम श्री कालूराम जी, दादी का नाम श्रीमती लखपती जी था.

संत रविदास "रैदास" नाम से कब और कैसे प्रसिद्ध हुए? || When and how did Saint Ravidas become famous by the name "Raidas" in hindi?
संत रविदास एक महान समाजसुधारक थे उन्होंने जात -पात के विरुद्ध संघर्ष किया था, वो समानता के पक्षधर थे.

संत रविदास जयंती क्यों मनाया जाता है? || Why is Sant Ravidas Jayanti celebrated in Hindi? 
संत रविदास जी को याद करने के लिए, संत रविदास जयंती क्यों मनाया जाता है.

संत रविदास नगर का दूसरा नाम क्या है? || What is the other name of Sant Ravidas Nagar in hindi?
भदोही => इस जिले की उत्पत्ति 30 जून 1994 को भदोही के नाम से उत्तर प्रदेश के 65 वें जिले के रूप में हुई थी. लेकिन बाद में मायावती सरकार ने इसका नाम संत रविदास नगर रख दिया था. फिर 06 दिसम्बर 2014 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुनः भदोही नाम रख दिया है.

संत रविदास का मूल नाम क्या है? || What is the original name of Sant Ravidas in hindi?
इन सन्तों में से एक थे, सन्त कुलभूषण रविदास, जिन्हें रैदास के नाम से भी जाना जाता है. सन्त रविदास का जन्म सन् 1398 में माघ पूर्णिमा के दिन काशी के निकट माण्डूर नामक गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम संतोखदास (रग्घु) और माता का नाम कर्मा (घुरविनिया) था. सन्त कबीर उनके गुरु भाई थे, जिनके गुरु का नाम रामानंद था.

रविदास जी पूर्व जन्म में क्या थे? || What was Ravidas ji in his previous birth in hindi?
अनंतदास ने भी रविदास को पूर्वजन्म में ब्राह्मण माना है. उनकी कथानुसार, रविदास ने पूर्वजन्म में ब्राह्मण होकर भी मांस खाया था. इसलिए इस जन्म में उनको चमार के घर जन्म लेना पड़ा.

संत रविदास के अन्य नाम क्या है? || What is another name for Sant Ravidas in Hindi? 
संत रविदास को गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास, रोहिदास, सतगुरु और जगतगुरु आदि नामों से पुकारा जाता है.

रैदास का क्या अर्थ है? || What is the meaning of Raidas in hindi?

रैदास का तात्पर्य संत रविदास से है. संत शिरोमणि रविदास को ही रैदास कहा जाता है.


संत रविदास कहाँ के संत थे? || Where was Saint Ravidas a saint?
संत रविदास का जन्म सन् 1388 (इनका जन्म कुछ विद्वान 1398 में हुआ भी बताते हैं) को बनारस में हुआ था. रैदास कबीर के समकालीन हैं. रैदास की ख्याति से प्रभावित होकर सिकंदर लोदी ने इन्हें दिल्ली आने का निमंत्रण भेजा था.

संत रविदास ने कहाँ से ज्ञान प्राप्त किया था? || From where did Saint Ravidas get knowledge? 
संत रविदास जी का जन्म काशी,उत्तर प्रदेश में लगभग 1398 ई. में हुआ था। संत रैदास को संत रविदास, रामदास, गुरु रविदास और संत रविदास के नाम से भी जाना जाता है उनके पिता का नाम संतोख़ दास(रग्घू) और माता का नाम कलसा देवी बताया जाता है. रैदास जी ने साधु संतो के सतसंग से प्राप्त ज्ञान प्राप्त किया था.

रविदास के लाल की क्या विशेषता है?  || What is the specialty of Ravidas K Lal in hindi?
रैदास के लाल की विशेषता है कि वह दीनदयालु, गरीब निवाजु हैं. ईश्वर समदर्शी है. जो नीची जाति वालों को भी अपनाकर उन्हें समाज में ऊँचा स्थान देता है. वह असंभव को भी संभव कर सकता है.

रविदास और रैदास में क्या अंतर है? || What is the difference between Ravidas and Raidas in Hindi? 
अलग अलग स्थानों पे उन्हें अलग अलग नामो से जाना जाता है. 'आदि ग्रंथ' या गुरु ग्रंथ साहिब में जहां कहीं भी उनके पद संकलित हैं, वहां उनका नाम 'रविदास' ही लिखा गया है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उन्हें रैदास के नाम से ही जाना जाता है. गुजरात और महाराष्ट्र के लोग उन्हें 'रोहिदास' के नाम से पुकारते हैं, और बंगाल के लोग उन्हें 'रुइदास' कहते हैं.

संत शिरोमणि रविदास जी किसकी भक्ति करते थे? || Whom did Ravidas ji worship in Hindi? 
भगवान राम के विभिन्न स्वरुप => संत रविदास जी भगवान राम के विभिन्न स्वरुप राम, रघुनाथ, राजा राम चन्द्र, कृष्णा, गोविन्द आदि के नामों का अनुसरण कर अपनी भावनाओं को उजागर करने के लिये करते थे और उनकी ही प्रेमा भक्ति और पूजा करते थे. प्रभु की भक्ति करते थे.

रैदास ईश्वर की भक्ति कैसे करते हैं? || How does Raidas worship God in hindi?

रैदास ईश्वर को स्वामी और अपने को उनका दास कहते हैं और उनसे तुलना करते हैं कि तुम चंदन के समान हो और मैं पानी के समान हूँ. तुम यदि वन के घन हो तो मैं मोर हूँ. तुम यदि दीपक के समान प्रकाश फैलाने वाले हो तो मैं बाती हूँ.


सन्त रविदास किस सम्प्रदाय के गुरु थे? || Saint Ravidas was the teacher of which community in hindi?
सन्त शिरोमणि श्री रविदास किसी विशेष सम्प्रदाय के गुरु नहीं थे. वे सभी को राह दिखाते थे.


रविदास के जन्म के समय भारत में किसका शासन था? || Who ruled India at the time of the birth of Ravidas in Hindi? 
मुगलों का शासन => संत रविदास जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में मुगलों का शासन था चारों ओर अत्याचार, गरीबी, भ्रष्टाचार व अशिक्षा का बोलबाला था. 


संत रविदास जयंती कब पड़ती है? || When does Sant Shree Ravidas Jayanti fall in Hindi? 

माघ महीने की पूर्णिमा => संत रविदास जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा पर मनाई जाती है. वर्ष 2023 में संत रविदास जयंती रविवार, 05 फरवरी 2023 को है. 


संत रविदास का जन्म कब और कहा हुआ था? || When and where was Sant Ravidas born in Hindi? 

संत रविदास का जन्म 1377 सीई वारणसी, उत्तर प्रदेश में माघ पूरनमासी को हुआ.


गुरु श्री रविदास के पिता का नाम क्या था? || What is the name of Guru Ravidas's father in Hindi? 
बाबा संतो़ख दास => गुरु रविदास के पिता का नाम बाबा संतो़ख दास था.


संत रविदास की माता का क्या नाम था? || What was the name of the mother of Sant Ravidas in Hindi?

करमा बाई =>  संत रविदास की माता का नाम करमा बाई था.


संत रविदास की पत्नी का क्या नाम था? || What was the name of the wife of Sant Ravidas in Hindi? 

लोना => संत रविदास की पत्नी का नाम लोना था


गुरु रविदास जी का जन्म कहां हुआ था ? || Where was Guru Ravidas ji born in Hindi? 

वाराणसी => गुरु रविदास जी का जन्म वाराणसी में हुआ था.


संत रविदास का परिवार || Family of Sant Ravida in Hindi? 

कहा जाता है कि संत रविदास जी के पिता रघ्घू या राघवदास और माता का नाम करमा बाई था. उनकी पत्नी लोना एवं एक पुत्र विजयदास हुए. उनकी एक पुत्री रविदासिनी थी. 


मीरा के गुरु कौन थे? || Who was Meera's guru in Hindi? 

संत रविदास => कहा जाता है कि संत रविदास ही मीरा के गुरु थे. 


साल 2023 में संत रविदास जयंती कब है? || When is Sant Ravidas Jayanti in the year 2023 in Hindi? 
वर्ष 2023 में संत रविदास जयंती बुधवार, 05 फरवरी को है. 

संत रविदास जयंती वर्ष 2020, 2021, 2022 में कब थी? || When was Sant Ravidas Jayanti in 2020, 2021, 2022 in Hindi? 
 09 फरवरी, 27 फरवरी और 16 फरवरी को संत श्री रविदास जयंती मनाई गई थी.

संत रविदास की भाषा क्या थी? || What is the language of Sant Ravidas in Hindi? 
रविदास ने अपनी काव्य-रचनाओं में सरल, व्यावहारिक ब्रजभाषा का प्रयोग किया करते थे, जिसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी मिश्रण है. रैदास को उपमा और रूपक अलंकार विशेष प्रिय रहे हैं.

संत शिरोमणि श्री रविदास द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब में लिखे गए 41 पवित्र लेख कौन से है? || What are holy scriptures written by Saint Ravidas in Guru Granth Sahib?
संत श्री रविदास द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब लिखे में गए 41 पवित्र लेख है जो इस प्रकार है => रागा-सिरी, गौरी, असा, गुजारी, सोरथ, धनसरी, जैतसारी, सुही, बिलावल, गौंड, रामकली, मारु, केदारा, भाईरऊ, बसंत, और मलहार".

सिख धर्म के लिये गुरु संत रविदास जी का योगदान क्या है? || What is the contribution of Guru Sant Ravidas Ji to Sikhism?
सिख धर्मग्रंथ में उनके पद, भक्ति गीत, और दूसरे लेखन (41 पद) आदि सम्मलित है. गुरु ग्रंथ साहिब जो कि सीखो के पाँचवें सिख गुरु अर्जन देव द्वारा संकलित की गयी. सामान्यत: रविदास जी के अध्यापन के अनुयायी को रविदासीया कहा जाता है, और रविदासीया के समूह को अध्यापन को रविदासीया पंथ कहा जाता है.

रैदास की भक्ति भावना क्या थी? || What was the devotional spirit of Raidas in hindi?
रैदास की वाणी भक्ति की सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओत- प्रोत होती थी. इसलिए उसका श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था. उनके भजनों तथा उपदेशों से लोगों को ऐसी शिक्षा मिलती थी, जिससे उनकी शंकाओं का सन्तोषजनक समाधान हो जाता था और लोग स्वत उनके अनुयायी बन जाते थे.

हम रविदास को क्यों मानते हैं? || Why do we believe in Ravidas in hindi?
वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति थे. इस दिन, उनके अनुयायी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. फिर, वे अपने जीवन से जुड़ी महान घटनाओं और चमत्कारों को याद करके अपने गुरु रविदास जी से प्रेरणा लेते हैं. उनके भक्त उनके जन्म स्थान पर जाते हैं और रविदास जयंती पर उनका जन्मदिन मनाते हैं.

रविदास जी का पैतृक व्यवसाय क्या था? || What was the ancestral(parental) occupation of Ravidas ji?
संत रविदास का जन्म लगभग 600 वर्ष पूर्व माघ पूर्णिमा के दिन काशी में हुआ था. मोची कुल में जन्म लेने के कारण जूते बनाना उनका पैतृक व्यवसाय था, और इस व्यवसाय को ही उन्होंने ध्यान विधि बना डाला.

रविदास समाज को क्या संदेश देना चाहते थे? || What message did Ravidas want to give to the society?
संत रविदास सामाजिक एकता पर बल देते थे.उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा जातिगत भेदभाव को मिटा कर सामाजिक एकता को बढ़ाने पर बल दिया. उन्होंने मानवतावादी मूल्यों की स्थापना कर ऐसे समाज की स्थापना पर बल दिया जिसमें किसी प्रकार का भेदभाव, लोभ-लालच तथा दरिद्रता न हो.

वाराणसी में श्री गुरु रविदास पार्क कहा स्थित है? || Where is Shri Guru Ravidas Park situated in Varanasi?
वाराणसी => वाराणसी में श्री गुरु रविदास पार्क है जो नगवा में उनके यादगार के रुप में बनाया गया है जो उनके नाम पर "गुरु रविदास स्मारक और पार्क" बना है.


गुरु रविदास घाट कहा स्थित है? || Where is Guru Ravidas Ghat situated?
वाराणसी में पार्क से बिल्कुल सटा हुआ उनके नाम पर गंगा नदी के किनारे लागू करने के लिये गुरु रविदास घाट भी भारतीय सरकार द्वारा प्रस्तावित है.


संत रविदास नगर कहा स्थित है? || Where is Sant Ravidas Nagar situated?
ज्ञानपुर जिले के निकट संत रविदास नगर है जो कि पहले भदोही नाम से था, अब उसका नाम भी संत रविदास नगर है. परन्तु पुनः इसका नाम बदलकर भदोही कर दिया गया है

 
श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर वाराणसी में कहा स्थित है? || Where is the Shri Guru Ravidas Janmasthan Temple situated in Varanasi?
इनके सम्मान में सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी में श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर स्थित है, जो इनके सम्मान में बनाया गया है पूरी दुनिया में इनके अनुयायीयों द्वारा चलाया जाता है जो अब प्रधान धार्मिक कार्यालय के रुप में है.


श्री गुरु रविदास स्मारक गेट कहा स्थित है? || Where is Shri Guru Ravidas Memorial Gate located?
वाराणसी के लंका चौराहे पर एक बड़ा गेट है, जो इनके सम्मान में बनाया गया है. इनके नाम पर देश के साथ ही विदेशों मे भी स्मारक बनाये गये है.


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