Pandit Jasraj Cultural Foundation: जानिये कौन थे पंडित जसराज? क्यों PM Modi ने कहा भारत की राष्ट्रीय विरासत कला और संस्कृति की होगी रक्षा और कैसे...

Pandit Jasraj Cultural Foundation: जानिये पंडित जसराज और पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन के बारे में | Know Who is Pandit Jasraj and what is Pandit Jasraj Cultural Foundation in hindi


दिवंगत भारतीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की 92वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी 2022 को, पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन का शुभारंभ किया. पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे खुशी है कि उनकी शास्त्रीय विरासत को आप सब आगे बढ़ा रहे हैं. आज पंडित जसराज जी की जन्मजयंती के पुण्य अवसर भी है. इस दिन पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन की स्थापना के इस अभिनव कार्य के लिए मैं आप सभी को बधाई देता हूं.' इस अवसर पर उन्होंने कहा इससे भारत की राष्ट्रीय विरासत कला और संस्कृति की होगी रक्षा.

हमारे यहाँ संगीत, सुर और स्वर को अमर माना गया है. कहा जाता है कि स्वर की ऊर्जा भी अमर होती है, उसका प्रभाव भी अमर होता है. ऐसे में, जिस महान आत्मा ने संगीत को ही जिया हो, संगीत ही जिसके अस्तित्व के कण-कण में गूँजता रहा हो, वो शरीर त्यागने के बाद भी ब्रह्मांड की ऊर्जा और चेतना में अमर रहता है.

पंडित जसराज | Pandit Jasraj Cultural Foundation

पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन | Pandit Jasraj Cultural Foundation


28 जनवरी, 2022 को, पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन को दिवंगत भारतीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की 92वीं जयंती के अवसर पर लॉन्च किया गया. पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन की स्थापना पंडित जसराज के बेटे शारंग देव पंडित और उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने की है. इस फाउंडेशन को भारत की राष्ट्रीय विरासत, कला और संस्कृति की रक्षा, संरक्षण, विकास और बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया है.

पंडित जसराज कल्चरल फ़ाउंडेशन का प्राथमिक उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय विरासत, कला और संस्कृति की रक्षा करना, और इसका विकास और प्रचार करना है. यह फाउंडेशन, नए उभरते हुये कलाकारों को सहयोग देकर, कलाकारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए भी प्रयास कर रहा है. इस फ़ाउंडेशन के माध्यम से संगीत के क्षेत्र में शिक्षा और शोध को भी आगे बढ़ाने का काम चल रहा हैं. 

  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा यह फाउंडेशन, संगीत सेवा का, साधना का, और देश के प्रति हमारे संकल्पों की सिद्धि का एक महत्‍वपूर्ण माध्यम बनेगा.
  • पीएम मोदी ने लोगों से भारतीय संगीत को दुनिया के सामने ले जाने का आग्रह किया, भारतीय संगीत के वैश्वीकरण पर ध्यान केंद्रित करने का और लोगों से संगीत पर आधारित स्टार्ट-अप स्थापित करने के लिए कहा.
  • संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे सांसारिक कर्तव्यों से अवगत कराता है और यह हमें सांसारिक आसक्तियों को पार करने में भी मदद करता है.
  • योग दिवस के अनुभव ने संकेत दिया है कि दुनिया को भारतीय विरासत से लाभ हुआ है और भारतीय संगीत में भी मानव मन की गहराई में उतरने की क्षमता है.
  • दुनिया में हर व्यक्ति भारतीय संगीत के बारे में जानने, सीखने और लाभ पाने का हकदार है, इसका ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है.
  • आज के युग में जब प्रौद्योगिकी का प्रभाव व्यापक है, संगीत के क्षेत्र में भी प्रौद्योगिकी और आईटी क्रांति होनी चाहिए.

प्रधानमंत्री ने भारत की कला और संस्कृति की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लक्ष्य के लिए पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन की प्रशंसा की. उन्होंने फाउंडेशन से प्रौद्योगिकी के इस युग के दो प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने को कहा. सबसे पहले उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत को वैश्वीकरण के इस युग में अपनी पहचान बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि योग दिवस के अनुभव ने संकेत दिया है कि भारतीय विरासत से दुनिया को फायदा हुआ है और भारतीय संगीत में भी मानव मन की गहराई में उतरने की क्षमता है. उन्होंने कहा, "दुनिया में हर व्यक्ति भारतीय संगीत के बारे में जानने, सीखने और लाभ पाने का हकदार है. इसका ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है".

  • भारतीय संगीत, मानवीय मन की गहराई को आंदोलित करने का सामर्थ्य रखता है. साथ- साथ, प्रकृति और परमात्मा की वन–नेस के अनुभव को भी बल देता है.
  • ब्रह्मांडीय ऊर्जा को महसूस करने की शक्ति और ब्रह्मांड के प्रवाह में संगीत को देखने की क्षमता ही भारतीय शास्त्रीय संगीत परंपरा को इतना असाधारण बनाती है.
  • संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे सांसारिक कर्तव्यों से अवगत कराता है और यह हमें सांसारिक आसक्तियों को पार करने में भी मदद करता है.

संगीत एक बहुत गूढ़ विषय है. हमारे ऋषियों ने स्वर और नाद को लेकर जितना व्यापक ज्ञान दिया है, वो अपने-आप में अद्भुत है. हमारे संस्कृत ग्रन्थों में लिखा है-

नाद रूपः स्मृतो ब्रह्मा, नाद रूपो जनार्दनः।
नाद रूपः पारा शक्तिः, नाद रूपो महेश्वरः॥

अर्थात्, ब्रह्मांड को जन्म देने वाली, पालन करने वाली और संचालित करने वाली और लय करने वाली शक्तियाँ, नाद रूप ही हैं. नाद को, संगीत को, ऊर्जा के इस प्रवाह में देखने की, समझने की ये शक्ति ही भारतीय शास्त्रीय संगीत को इतना असाधारण बनाती है. संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें सांसारिक कर्तव्यों का बोध भी कराता है और सांसारिक मोह से मुक्ति भी करता है. संगीत की खासियत यही है कि आप उसे छू भले ही नहीं सकते लेकिन वो अनंत तक गूंजता रहता है.

टेक्नोलॉजी का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में है, तो संगीत के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी और आईटी का रिवॉल्यूशन होना चाहिए. भारत में ऐसे स्टार्ट अप तैयार हों जो पूरी तरह संगीत को डेडिकेटेड हों, भारतीय वाद्य यंत्रों पर आधारित हों, भारत के संगीत की परंपराओं पर आधारित हों. भारतीय संगीत की जो पवित्र धारा है, गंगा जैसी पवित्र धाराएं हैं, उनको आधुनिक टेक्नोलॉजी से सुसज्जित कैसे करें, इस पर बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. जिसमें हमारी जो गुरू-शिष्‍य परंपरा है वो तो बरकरार रहनी चाहिए, लेकिन टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से एक वैश्विक ताकत प्राप्‍त होनी चाहिए, value addition होना चाहिए.

भारत का ज्ञान, भारत का दर्शन, भारत का चिंतन, हमारे विचार, हमारे आचार, हमारी संस्कृति, हमारा संगीत, इनके मूल में, ये सारी बातें मानवता की सेवा का भाव लिए हुए सदियों से हम सबके जीवन में चेतना भरती रहती हैं. पूरे विश्व के कल्याण की कामना सहज रूप से उसमें प्रकट होती है. इसीलिए, हम भारत को, भारत की परम्पराओं और पहचान को जितना आगे बढ़ाएँगे, हम मानवता की सेवा के उतने ही अवसर प्रशस्त करेंगे. यही आज भारत का मन्तव्य है, यही आज भारत का मंत्र है.

कौन थे पंडित जसराज? | Who was Pandit Jasraj know in hindi


  • पंडित जसराज एक भारतीय शास्त्रीय गायक थे. वह मेवाती घराने से सम्बंधित थे.
  • उनका संगीत करियर 75 वर्षों तक चला, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि, सम्मान और प्रमुख पुरस्कार मिले.
  • पंडित जसराज की विरासत में शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय मुखर संगीत, भक्ति और शास्त्रीय संगीत, एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के यादगार प्रदर्शन शामिल हैं.
  • उन्हें हवेली संगीत जैसी विभिन्न शैलियों में नवाचारों और मेवाती घराने को लोकप्रिय बनाने के लिए भी जाना जाता है.
  • पंडित जसराज ने भारत, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में पेशेवरों और शौकिया और छात्रों को संगीत सिखाया. 
  • 17 अगस्त, 2020 को न्यू जर्सी में पंडित जसराज जी का निधन हुआ.

यह भी पढ़े





एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने