[Sye Raa] Uyyalawada Narasimha Reddy: जानिये उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी, जिन्होंने ब्रिटिश शासन को हिला के रख दी | The story of unsung hero Uyyalawada Narasimha Reddy who shook british reign in hindi
हमारे देश में कई स्वतंत्रता संग्राम हुए. इसी के साथ भारत ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को देखा जो अपने कर्मो की छाप भारत के इतिहास और लोगो को दिलो पर छोड़ गए. हमारे भारत देश में कई महान व्यक्तित्व ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने योगदान के जरिये भारत को एक नहीं दिशा दिखाई. जिन्होंने अपने जीवन अथवा प्राणो की चिंता किये बिना अपने देश के लोगो के लिए बलिदान हो गए. इन्ही महान व्यक्तित्व में से एक उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी (Uyyalawada Narasimha Reddy) है.
कहा जाता है की भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी (Uyyalawada Narasimha Reddy) थे. वे अंग्रेजो से लोहा लेने वाले प्रथम भारतीय थे. वह पहले देशभक्त थे, जिन्होंने ब्रिटिस शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह किया और उन्हें जड़ से हिला कर रख दिया. उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी ने वर्ष 1847 में किसानों पर हो रहे जुल्म और अत्याचारो से परेशान होकर अंग्रेज़ों के विरुद्ध आवाज़ उठाई और अंग्रेज़ों से लोहा लिया. इस लेख में हम उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी के जीवन से जुडी महत्वपूर्ण घटनाओ के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे (Life Biography of Uyyalawada Narasimha Reddy in hindi). आइये जानते है उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी कौन थे (Who was Uyyalawada Narasimha Reddy in hindi?)? कैसे उन्होंने लोगो में आजादी के लिए अंग्रेजो के विरुद्ध एक नयी जन जागराण लाई.
Uyyalawada Narasimha Reddy the unsung hero |
Uyyalawada Narasimha Reddy: भारत में आजादी का बिगुल | Trumpet of freedom in india
भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध आजादी पाने के लिए लाखों वीर सपूतों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी (Uyyalawada Narasimha Reddy - first freedom fighter) पहले देशभक्त थे, जिन्होंने शक्तिशाली ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया था. उनके द्वारा दिए गए बलिदान से लाखो स्वतंत्रता सैनिको ने ऊर्जा प्राप्त किया. उनसे प्रेणना लेकर स्वतंत्रता को अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य बना लिया.
कौन थे नरसिम्हा रेड्डी? | Who was Narasimha Reddy in hindi
उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी (Uyyalawada Narasimha Reddy) भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे. वह पहले देशभक्त थे, जिन्होंने वर्ष 1847 में किसानों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई और अंग्रेज़ों के उठ खड़े हुए और विद्रोह किया. नरसिम्हा रेड्डी को अल्लागड्डा इलाके में अपने दादा से कर वसूलने की जिम्मेदारी मिली थी. परन्तु किसानों पर अंग्रेजों के बढ़ाते जुल्म उनसे देखा नहीं गया. इन्हीं जुल्मों और अत्याचारों के विरुद्ध नरसिम्हा रेड्डी अंग्रेजो का विरोध किया और स्वतंत्रता के लिए अपनी आवाज उठाई. जो आगे चलकर जन आंदोलन बन गई.
उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी का जीवन | Life Biography of Uyyalawada Narasimha Reddy in hindi
नरसिम्हा रेड्डी का जन्म 24 नवंबर, 1806 में उय्यालवडा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश के एक सैन्य परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी (Uyyalawada Narasimha Reddy) था. उनके दादा का नाम जयारामी रेड्डी तथा उनके पिता का नाम उय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी था.नरसिम्हा रेड्डी के 2 भाई थे. उनके 3 बेटे व 1 बेटी थी. नरसिम्हा रेड्डी मिलिटरी में गवर्नर थे, कदपा, अनंतपुर, बेल्लारी और कुरनूल जैसे 66 गांवों की कमान उनके हाथ में रहती थी, और वह 2000 की सेना को नियंत्रित किया करते थे.
रैयतवाड़ी वयवस्था के खिलाफ उठाई आवाज | Raised voice against Ryotwari system
मद्रास प्रेसीडेंसी जो आज के समय आंध्रप्रदेश राज्य का हिस्सा है, वहां ब्रिटिश शासन ने रैयतवाड़ी व्यवस्था की शुरुआत की थी. इस व्यवस्था में अंग्रेजो को किसानो से कर के रूप में बहुत ज्यादा पैसे मिलते थे. मुनरो ने वर्ष 1820 में इसे पूरे मद्रास में लागू कर दिया. इस व्यवस्था के तहत अंग्रेजों और किसानों के बीच सीधा समझौता था. इसमें किसानों को कर सीधा ब्रिटिश सरकार को देना पड़ता था. परन्तु अगर कोई किसान कर देने में किसी कारण वश असफल होता तो कंपनी उसकी जमीन छीन लेती थी. उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी ने इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई और विद्रोह किया.
ब्रिटिश वयवस्था के विरुद्ध किया विद्रोह | Revolted against British rule
रैयतवाड़ी व्यवस्था एक बहुत कठोर व्यवस्था थी. जिससे बहुत से किसान कर्ज के ताजे दबते जा रहे थे. बहुत सारे किसानो की जमीने छीन ली गई. कितनो ने आत्महत्या की. लेकिन इसके विरुद्ध जाने की या आवाज उठाने की हिम्मत किसी में नहीं थी. नरसिम्हा रेड्डी से किसानों की यह हालत देखी नहीं गई. रायलसीमा के क्षेत्र पर ब्रिटिशों के अधिकार के बाद नरसिम्हा रेड्डी ने अंग्रेजों के साथ इस क्षेत्र की आय को साझा करने से इनकार कर दिया था. वह एक सशस्त्र विद्रोह के पक्ष में थे. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ किसानों को एकजुट करना शुरू किया. उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी अंग्रेजो के खिलाप हो लड़ाई आरम्भ किया. किसानों को उनका हक दिलाने के लिए नरसिम्हा अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया.
सरेआम दी गई फांसी | Publicly hanged
5 हजार किसानों को साथ लेकर नरसिम्हा रेड्डी ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. वह युद्ध में गोरिल्ला रणनीति का इस्तेमाल करने में थे. 10 जून, 1846 को उन्होंने कोइलकुंटला में खजाने पर हमला किया और कंबम (जिला प्रकाशम्) की तरफ प्रस्थान किया. उन्होंने वन रेंजर रूद्राराम को मारकर विद्रोह किया. वे अंग्रेजों के खजानों को लूटने लगे, और उस खजाने को वे गरीबों में बांट देते थे. नरसिम्हा रेड्डी का बढ़ता रुतबा देख अंग्रेज परेशान हो गए थे. ऐसे में उन्होंने नरसिम्हा को खत्म करने की ठान ली. अंग्रेजों ने नरसिम्हा की टोली के 1000 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकाला. इनमें से 112 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई, जिसमें नरसिम्हा का भी नाम शामिल था. जुर्रेती बैंक, कोइलकुंटला, जिला कुर्नूल में सुबह 7 बजे, सोमवार, 22 फरवरी 1847 को अंग्रेजों ने नरसिम्हा रेड्डी को सार्वजनिक रूप से फांसी दी. उनकी फांसी को देखने के लिए हजारो की संख्या में लोग उपस्थित थे.
उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी के बारे में रोचक तथा महत्वपूर्ण तथ्य | Interesting information about Uyyalavada Narasimha Reddy in hindi
- नरसिम्हा रेड्डी का जन्म 24 नवंबर, 1806 उय्यालवाड़ा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश में एक सैनिक परिवार में हुआ था. उनका पूरा नाम उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी था. उनके पिता का नाम उय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी और दादा का नाम जयारामी रेड्डी था.
- नरसिम्हा रेड्डी मिलिटरी में गवर्नर थे. उनके पास कदपा, अनंतपुर, बेल्लारी और कुरनूल जैसे 66 गांवों की कमान उनके हाथ में रहती थी, और वे 2000 की सेना को नियंत्रित किया करते थे.
- नरसिम्हा रेड्डी को अल्लागड्डा क्षेत्र से अपने दादा से कर वसूलने की जिम्मेदारी मिली थी.
- नरसिम्हा रेड्डी गोरिल्ला युद्ध कला में निपुण थे. युद्ध में वे गोरिल्ला रणनीति का इस्तेमाल किया करते थे.
- माना जाता है की ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आवाज उठाने वाले नरसिम्हा रेड्डी प्रथम व्यक्ति थे.
- रायलसीमा के क्षेत्र पर ब्रिटिशों के अधिकार करने के बाद अंग्रेजो ने नरसिम्हा रेड्डी से कर के रकम को बाटने को कहा, परन्तु उन्होंने अंग्रेजों के साथ इस क्षेत्र की आय को साझा करने से इनकार कर दिया.
- अंग्रेजो के बढ़ते जुल्मो के कारण नरसिम्हा रेड्डी ने आवाज उठाना चालू किया और एक सशस्त्र विद्रोह के पक्ष में थे. उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपने साथ कई लोगो को जोड़ना प्रारम्भ किया.
- 10 जून 1846 को उन्होंने कोइलकुंटला में खजाने पर हमला किया और कंबम (जिला प्रकाशम्) की तरफ प्रस्थान किया.
- उन्होंने वन रेंजर रूद्राराम को मारकर विद्रोह जताया. जिला कलेक्टर ने विद्रोह को बड़ी गंभीरता से लिया और कैप्टन नॉट और वाटसन को नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने का आदेश दिया. परन्तु वे अपने प्रयास में असफल रहे.
- ब्रिटिश सरकार ने नरसिम्हा रेड्डी की जानकारी देने वाले को ₹5000 और उसके सिर के लिए ₹10000 ईनाम देने की घोषणा की, जोकी उन दिनों एक बहुत बड़ी रकम थी.
- 23 जुलाई 1846 को उन्होंने अपनी सेना के साथ गिद्दलूर(Giddalur) में ब्रिटिश सेना के ऊपर आक्रमण कर दिया और उन्हें हराया.
- नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने के लिए ब्रिटिश सेना ने उनके परिवार को कदपा में बन्दी बना लिया. अपने परिवार को मुक्त करने के प्रयास में वह नल्लामला वन चले गए.
- जब अंग्रेजों को पता लगा की वह नल्लामला वन में छिपे हैं, तब अंग्रेजों ने अपनी गतिविधियों को और ज्यादा मजबूत कर दिया. जिसके बाद नरसिम्हा रेड्डी कोइलकुंतला क्षेत्र में वापस आ गए और गांव रामबाधुनीपल्ले के पास जगन्नाथ कोंडा में मौके का इंतजार करने लगे.
- जब ब्रिटिश अधिकारियों को उनके कोइलकुंतला के ठिकाने की जानकारी मिली, ब्रिटिश अधिकारियों ने वह क्षेत्र रातों-रात घेर लिया. 6 अक्टूबर 1846 को आधी रात के समय नरसिम्हा रेड्डी को बन्दी बना लिया गया.
- कोइलकुंतला में पकड़े जाने के बाद उन्हें बुरी तरह मारा गया, उन्हें मोटी-मोटी जंजीरों से बांध कोइलकुंतला की सड़कों पर खून से सने हुए कपड़े में ले जाया गया ताकि अन्य कोई व्यक्ति को ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह करने की हिम्मत ना करे.
- नरसिम्हा रेड्डी के साथ मिलकर विद्रोह करने लिए 901 अन्य लोगों पर भी आरोप लगाया गया. परन्तु उनमें से 412 लोगों को बरी कर दिया गया और 273 लोगों को जमानत पर रिहा किया गया. 112 लोगों को दोषी ठहराया गया, उन्ही में नरसिम्हा रेड्डी भी थे.
- उनमे से कुछ लोगो को 5 से 14 साल के लिए कारावास की सजा सुनाई गई. कुछ को तो अंडमान द्वीप समूह की एक जेल में भेज दिया गया. नरसिम्हा रेड्डी पर हत्या और राजद्रोह करने का आरोप लगाया गया और उन्हें मौत के लिए फांसी की सजा सुनाई गई.
- छ: सप्ताह बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से जुर्रेती बैंक, कोइलकुंटला, जिला कुर्नूल में सुबह 7 बजे, सोमवार, 22 फरवरी, 1847 को फांसी दी गई. उनकी फांसी को देखने के लिए हजारो की संख्या में लोग उपस्थित थे.
- नरसिम्हा रेड्डी अपने जीवन का बलिदान देकर लोगों के मन में स्वतंत्रता और क्रांति की ज्वाला जगा गए.
- नरसिम्हा रेड्डी द्वारा बनाए गए किले आज भी उय्यलावडा, रूपनगुड़ी, वेल्ड्रथी, गिद्दलुर आदि स्थानों पर मौजूद हैं.
- प्रथम स्वतंत्रता सेनानी उय्यालवडा नरसिम्हा रेड्डी की 170वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए 22 फ़रवरी, 2017 को उय्यालवडा में एक विशेष आवरण जारी किया गया है.
- वर्ष 2019 में आई तेलुगू फिल्म ‘सई रा नरसिम्हा रेड्डी’ (Sye Raa Narasimha Reddy) स्वतंत्रता सेनानी उय्यालवाड़ा नरसिम्हा रेड्डी के जीवन पर आधारित है. फिल्म में चिरंजीवी ने नरसिम्हा रेड्डी की भूमिका निभाई है. फिल्म में अमिताभ बच्चन भी अहम रोल में हैं. इस फिल्म में चिरंजीवी और अमिताभ बच्चन के साथ नयनतारा, कीचा सुदीप, विजय सेतुपति, और जगतपति बाबू की महत्वपूर्ण भूमिका हैं.
यह भी पढ़े
Tags
about India
first freedom fighter
Great People
Sye Raa Narasimha Reddy
Uyyalawada Narasimha Reddy