Kashi Vishwanath Corridor: देखे कैसे सैकड़ो वर्षो के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर अपने असली अस्तित्व को प्राप्त किया | See in the pictures how Kashi Vishwanath Temple attained its real existence after hundreds of years.
काशी विश्वनाथ मंदिर बहुत पुराना और एक भव्य मंदिर है, जो दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर में दुनिया के कोने कोने से लोग आते है. काशी विश्वनाथ मंदिर हमेशा से बहुत संपन्न रहा है. पुराणों के अनुसार भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंग है. इन्ही में काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शंकर को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है. यह मंदिर भारत के वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है. मंदिर के पश्चिमी ओर से पवित्र गंगा नदी बहती है.
काशी विश्व की प्राचीनतम नगरी में से एक है. पवित्र गंगा नदी के किनारे बेस इस काशी को हमेशा से धर्म और संस्कृति का प्रतिक माना जाता है. काशी नगरी में बसे काशी विश्वनाथ मंदिर बहुत पुराना और एक भव्य मंदिर है, जो दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है. परन्तु इतिहास में हुए आक्रमण के कारण इस मंदिर की भव्यता कम हो गयी थी. आज हम जो काशी विश्वनाथ मंदिर देख रहे है वह वर्ष 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार करवाया गया था. आज हम जो कशी विश्वनाथ मंदिर देखते है, वह महारानी अहिल्याबाई की देन है. परन्तु समय बितने के साथ यह काफी जर्जर और कंजस्टेड हो गया था. इसे पुनः इसके प्राचीन स्वरुप में वापस लाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने यहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का संकल्प किया. और काशी का काया कल्प कर जीर्णोद्धार किया. आइये तश्वीरो से समझते है काशी विश्वनाथ धाम का नया स्वरुप.
Kashi Vishwanath Temple Corridor | काशी विश्वनाथ कॉरिडोर |
Kashi Vishwanath Temple Corridor
काशी विश्वनाथ धाम | Kashi Vishwanath Dham
काशी विश्व की प्राचीनतम नगरी में से एक है. माना जाता है की काशी विश्वनाथ भगवान शंकर के त्रिशूल पर विराजमान है. काशी नगरी को वाराणसी अथवा बनारस भी कहा जाता है. दो नदियों 'वरुणा' और 'असि' के मध्य बसे होने के कारण इसका नाम 'वाराणसी' पड़ा. काशी विश्वनाथ मंदिर को बाबा विश्वनाथ धाम भी कहा जाता है. बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग 'विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग' है. काशी विश्वनाथ मंदिर बहुत पुराना और एक भव्य मंदिर है, जो दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर में दुनिया के कोने कोने से लोग आते है. काशी विश्वनाथ मंदिर हमेशा से बहुत संपन्न रहा है.
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास | Kashi Vishwanath Temple History
काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है. काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण किस काल अथवा सदी में किया गया, यह अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है. परन्तु इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख प्राचीन लिपियों और मिथकों में मिलता है. माना जाता है कि दूसरी ईस्वी में मंदिर को कई आक्रमणकारियों ने नष्ट किया था, जिसे बाद में एक गुजराती व्यापारी द्वारा बनवाया गया. आगे चलकर इस काशी विश्वनाथ मंदिर को समय समय पर मुहम्मद गौरी, अकबर, औरंगजेब आदि के द्वारा लूट पाट तथा तोड़ फोड़ किया गया.
आज हम जो काशी विश्वनाथ मंदिर देख रहे है वह वर्ष 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार करवाया गया था. आज हम जो कशी विश्वनाथ मंदिर देखते है, वह महारानी अहिल्याबाई की देन है. बाद में आगे चलकर महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि. ग्रा. शुद्ध सोने से मंदिर के ऊपर सोने की परत लगवाई गयी. ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया तथा महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई. परन्तु समय बितने के साथ यह काफी जर्जर हो गया था. काशी के सकरी गलियों के कारण इसके भव्यता में भी कमी आने लगी थी. इसे पुनः इसके प्राचीन स्वरुप में वापस लाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने यहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का संकल्प किया. और काशी का काया कल्प कर जीर्णोद्धार किया. काशी को उसके पुराने अस्तित्व में ढालने का प्रयास किया.
Kaashi Vishwanath Temple | काशी विश्वनाथ धाम |
अद्भुत अविश्वसनीय अकल्पनीय दिव्य काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर | Amazing Incredible Incredible Divine Kashi Vishwanath Temple Corridor
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को दो भागों में विभक्त किया गया है. मंदिर के मुख्य परिसर को लाल बलुआ पत्थर के द्वारा निर्मित किया गया है. इसमें 4 बड़े बड़े गेट लगाए गए हैं. इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है. उस प्रदक्षिणा पथ पर 22 संगमरमर के शिलालेख लगाए गए हैं जिनमें काशी की महिमा का वर्णन होगा. काशी विद्वत परिषद् के महामंत्री मुख्य मंदिर परिसर के इस भाग के बारे में तफ्सील से बताते हैं कि "इसमें 22 शिलालेख ऐसे लगाए जा रहे हैं जिसमें भगवान विश्वनाथ से संबंधित स्तुतियां हैं और आद्य शंकराचार्य ने जिन स्तुतियों का गान किया है वो हैं. अन्नपूर्णा स्त्रोत है और जिन स्तुतियों को भगवान शंकर ने गान किया है, उन स्त्रोतों को लगाया जा रहा है. बाकी भगवान शिव ने यहां पर 56 विनायक भेजा, द्वादश आदित्य भेजा. उनके संदर्भ में कैसे है काशी में पंचनद है, काशी में पंचतीर्थ है, काशी में भगवान शिव की बारात कैसे निकलती है, भगवान विश्वनाथ काशी में पहली बार कब आए, भगवान शिव पार्वती का विवाह का उल्लेख है, ऐसे 24 पैनल बन रहे हैं.
कॉरिडोर का दूसरा भाग में मंदिर के द्वार की दूसरी तरफ 24 भवनों का एक बड़ा कैम्पस बन रहा है जिसका मुख्य दरवाजा गंगा की तरफ ललिता घाट से आयेगा. इस परिसर में वाराणसी गैलरी काफी महत्वपूर्ण है. विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण और विकास के दौरान कुछ घरों से निकली मूर्तियां, पुराने घरों से निकले नक़्क़ाशीदार दरवाजे, खिड़कियों को भी धरोहर के रूप में वाराणसी गैलरी में प्रदर्शित करने की योजना है. काशी की आध्यात्मिक परंपरा को भी गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा.
Kashi Vishwanath Temple Corridor | काशी विश्वनाथ कॉरिडोर |
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