Kashi Vishwanath Jyotirlinga Temple History: जानिए कितने बार तोड़ फोड़ और लूटा गया काशी विश्वनाथ मंदिर को, और किसने कब लूटा तथा तुड़वाया मंदिर को, और किन लोगो ने काशी विश्वनाथ मंदिर को बनवाने में अथक प्रयास किया | Know who looted, destroyed the Kashi Vishwanath Templeemple, and who built the Kashi Vishwanath Temple in Hindi
भारत में जब भी पूजा, अर्चना, आस्था आदि की बात होती है तो भगवान शंकर के ज्योतिर्लिंगों की भूमिका अहम् है. हिन्दू धर्म में ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है. पुराणों के अनुसार भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंग है. इन्ही में काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शंकर को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है. यह मंदिर भारत के वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है. मंदिर के पश्चिमी ओर से पवित्र गंगा नदी बहती है.
काशी विश्वनाथ मंदिर बहुत पुराना और एक भव्य मंदिर है, जो दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर में दुनिया के कोने कोने से लोग आते है. काशी विश्वनाथ मंदिर हमेशा से बहुत संपन्न रहा है. इसके सम्पन्नता के कारण ही इतिहास में इस मंदिर को बहुत बार लूटा गया है. कई बार धार्मिक अतिक्रमण के कारण भी इस मंदिर को नुकसान पहुंचाया गया है. आइये जानते है काशी विश्वनाथ मंदिर को कब कब लुटा और तोड़ा गया है. उनके बारे में भी जानेंगे जिन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर को पुनः जीर्णोद्धार करने में अथक योगदान दिया.
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर Kashi Vishwanath Jyotirlinga Temple |
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर | Kashi Vishwanath Jyotirlinga Temple
काशी नगरी को वाराणसी अथवा बनारस भी कहा जाता है. दो नदियों 'वरुणा' और 'असि' के मध्य बसे होने के कारण इसका नाम 'वाराणसी' पड़ा. काशी विश्वनाथ मंदिर को बाबा विश्वनाथ धाम भी कहा जाता है. बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग 'विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग' है. यह ज्योतिर्लिंग काशी नगरी में स्थित होने के कारण इस मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है. काशी विश्वनाथ मंदिर को विश्वेश्वर नाम से भी जाना है. इस शब्द का अर्थ होता है 'ब्रह्माड का शासक'. माना जाता है कि यह विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का आदि स्थान है, इसीलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही प्रथम लिंग माना गया है. शिव और काल भैरव की यह नगरी अद्भुत है, जिसे सप्तपुरियों में शामिल किया गया है.
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास | Kashi Vishwanath Temple History
काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है. काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण किस काल अथवा सदी में किया गया, यह अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है. परन्तु इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख प्राचीन लिपियों और मिथकों में मिलता है. माना जाता है कि दूसरी ईस्वी में मंदिर को कई आक्रमणकारियों ने नष्ट किया था, जिसे बाद में एक गुजराती व्यापारी द्वारा बनवाया गया. आगे चलकर इस काशी विश्वनाथ मंदिर को समय समय पर मुहम्मद गौरी, अकबर, औरंगजेब आदि के द्वारा लूट पाट तथा तोड़ फोड़ किया गया.
किसने और कब काशी विश्वनाथ मंदिर लूटा और तुड़वाया, और किन लोगो ने काशी विश्वनाथ मंदिर को बनवाने में अथक प्रयास किया | Who and when looted and demolished the Kashi Vishwanath temple, and who worked tirelessly to get the Kashi Vishwanath temple built
चीनी यात्री (ह्वेनसांग) के अनुसार उसके समय में काशी में सौ मंदिर थे, किन्तु मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सभी मंदिरो को ध्वस्त कर मस्जिदों का निर्माण करवाया.
ईसा पूर्व 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर ( वर्त्तमान समय में काशी विश्वनाथ मंदिर ) का जीर्णोद्धार करवाया था, उसका सम्राट विक्रमादित्य ने अपने समय में फिर से जीर्णोद्धार करवाया था.
पुनः काशी विश्वनाथ मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था. इतिहास के जानकारो के अनुसार इस भव्य मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गौरी द्वारा तोड़ा गया था.
विश्वनाथ मंदिर को फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया.
पुन: सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. इस बात का जिक्र डॉ. एएस भट्ट द्वारा लिखित किताब 'दान हारावली' में है कि टोडरमल ने मंदिर का पुनर्निर्माण 1585 में करवाया था.
इस भव्य मंदिर को पुनः सन् 1632 में शाहजहां ने आदेश पारित कर इसे तोड़ने के लिए सेना भेज दी. किन्तु हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण सेनागड विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर को तो तोड़ नहीं सकी, लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए.
सन् 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया. यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है. उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खां द्वारा लिखित 'मासीदे आलमगिरी' में इस ध्वंस का वर्णन है.
औरंगजेब के आदेश पर यहां का मंदिर तोड़कर एक ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई. 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी.
सन् 1752 से लेकर सन् 1780 के बीच मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया व मल्हारराव होलकर ने मंदिर मुक्ति के प्रयास किए. 7 अगस्त 1770 ई. में महादजी सिंधिया ने दिल्ली के बादशाह शाह आलम से मंदिर तोड़ने की क्षतिपूर्ति वसूल करने का आदेश जारी करा लिया, परंतु तब तक काशी पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया था इसलिए मंदिर का नवीनीकरण रुक गया.
1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार करवाया गया था. आज हम जो कशी विश्वनाथ मंदिर देखते है, वह महारानी अहिल्याबाई द्वारा बनाया गया है.
बाद में आगे चलकर महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि. ग्रा. शुद्ध सोने से मंदिर के ऊपर सोने की परत लगवाई गयी.
ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया तथा महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई.
काशी विश्वनाथ मंदिर का महत्व | Importance of Kashi Vishwanath Temple
बाबा विश्वनाथ के नाम से दुनिया भर में प्रसिद्ध यह शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. कहा जाता है कि गंगा किनारे स्थापित इस मंदिर की स्थापना 1490 में हुई थी. इस विश्वनाथ मंदिर की वास्तविक निर्माण काल का अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया.
पवित्र गंगा के तट पर स्थित, वाराणसी को हिंदू शहरों में सबसे पवित्र माना जाता है. काशी विश्वनाथ मंदिर को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण पूजा स्थलों में से एक के रूप में जाना जाता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर के अंदर शिव, विश्वेश्वर या विश्वनाथ का ज्योतिर्लिंग है. विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग का भारत के आध्यात्मिक इतिहास में बहुत ही विशिष्ट और अद्वितीय महत्व है.
आदि गुरु शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, बामाखापा, गोस्वामी तुलसीदास, स्वामी दयानंद सरस्वती, सत्य साईं बाबा और गुरुनानक सहित कई प्रमुख संतों ने इस काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किये है.
काशी विश्वनाथ मंदिर की यात्रा और गंगा नदी में स्नान कई तरीकों में से एक है जो मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है. इस प्रकार, दुनिया भर के हिंदू भक्त अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार काशी विश्वनाथ मंदिर के इस स्थान पर आने की कोशिश करते हैं।
काशी नगरी को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है. मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के दरबार में उपस्थिति मात्र से ही भक्त को जन्म-जन्मांतर के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. मान्यता यह भी है की पवित्र नदी गंगा में नहाकर पूरे विधिविधान से विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
काशी विश्वनाथ मंदिर की अपार लोकप्रियता और पवित्रता के कारण, भारत भर में सैकड़ों मंदिरों को एक ही स्थापत्य शैली में बनाया गया है.
भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग | Lord Shiva 12 Jyotirlinga
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र नगर में अरब सागर के तट पर स्थित है.
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट श्रीशैल पर्वत पर स्थापित है.
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - भगवान शिव का यह ज्योर्तिंलिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है.
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के मालवा में है.
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर स्थित है.
- भीमशंकर ज्योतिर्लिंग - यह महाराष्ट्र के डाकिनी में है.
- विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है.
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र के नासिकजिले में त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है.
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - यह झारखंड के संथाल परगना में स्थित है.
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़्रौदा में गोमती के पास है.
- रामेश्वर ज्योतिर्लिंग - यह तमिलनाडु के रामेश्वर में स्थित है.
- घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद स्थित बेरूलठ गांव में स्थापित है.
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