श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पर्व क्यों मनाया जाता है? | क्या है कृष्ण जन्माष्टमी मानने का कारण और धार्मिक महत्व?

Shree Krishna Janmashtami: श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है?, क्या है जन्माष्टमी की कहानी?, क्या है श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी महत्व?

श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं. श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को ही जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिन्दुओं के लिए बहुत ही उत्साहवर्धक और पावन पर्व है. जन्माष्टमी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में भक्तो की बहुत भीड़ रहती है. भक्त भगवान का दर्शन कर उन्हें भोग लगाते है. लोग अपने घरों में भी कृष्णा के बालगोपाल रूप को दूध, शहद, पानी आदि से अभिषेक कर नए वस्त्र पहनाते है. रात होने पर भजन कीर्तन भी करते हैं.

आइये जानते है कृष्णा जन्माष्टमी से जुडी कुछ तत्यो को जैसे की श्रीबीकृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?, कैसे मनाई जाती है?, कब मनाई जाती है? आदि. हम कृष्ण जन्माष्टमी के पीछे की कथा, परंपरा तथा जन्माष्टमी महत्व को भी जानेंगे. आखिरी में हम दही हांड़ी के राज के बारे में बात करेंगे की आखिर जन्माष्टमी पर क्यों मनाई जाती है दही हांडी?
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व क्यों मानाई जाती है?, Why Krishna Janmashtami is celebrated?
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व क्यों मानाई जाती है?
Why Krishna Janmashtami is celebrated?

श्री कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पर्व | Shri Krishna Janmashtami Festival

श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. कृष्णा एक ऐसा शब्द है जिसके नाम मात्र से ही हमारे पाप मिट जाते है, कष्ट समाप्त हो जाते है. ऐसे परमज्ञानी, परमदयालु परमात्मा के धरती में प्रकट होने का प्रकटोत्‍सव कृष्‍णजन्‍माष्‍टमी महापर्व के रूप में भारत के साथ-साथ विश्‍वभर में भारतवंशीयों, भारतीय प्रवासियों और भारतीय मेथोलॉजी से प्रभावित विदेशी मूल के लोगों के द्वारा मनाया जाता है. हिन्दू धर्म के मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को ही जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी भगवन कृष्णा के श्रद्धालु कृष्ण जन्माष्टमी बड़ी धूम धाम से मनाते है. 

श्रीकृष्णा हमेशा से हमारे श्रद्धा के केंद्र रहे है. कृष्णा जन्माष्टमी एक बहुत ही उत्साह वर्धक और भक्ति भाव का दिन होता है. लोग नए नए कपडे पहनते है. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में भक्तो की बहुत भीड़ रहती है. भक्त भगवान का दर्शन कर उन्हें भोग लगाते है. जन्माष्टमी के दिन कई लोग उपवास रखते है. लोग अपने घरों में भी कृष्णा के बालगोपाल रूप को दूध, शहद, पानी आदि से अभिषेक कर नए वस्त्र पहनाते है. रात होने पर भजन कीर्तन भी करते हैं. भारत के कई इलाको खासकर महाराष्ट्र में दही हांडी भी मनाया जाता है.

कृष्ण जन्‍माष्‍टमी पर्व कब मनाया जाता है? | When Krishna Janmashtami is celebrated?

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को ही कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है. भगवन श्री कृष्ण ने अपना अवतार श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया. इसलिए कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का यह पर्व रक्षाबंधन के बाद हिन्‍दी कलेण्‍डर विक्रम संवत के भाद्रपद माह ( भादो महिना ) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार इसी तिथि को रोहणी नक्षत्र में भगवान कृष्‍ण मथुरा में कंस के कारागार में प्रकट हुये थे. इस दिन चंद्रमा वृष राशि में तथा सूर्य सिंह राशि में था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यानी साल 2001 में कृष्ण जन्‍माष्‍टमी 30 सितम्बर को है.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व क्यों मानाई जाती है? | Why Krishna Janmashtami is celebrated?

भगवान श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे. उनके बाकि के पुत्र - पुत्री अत्याचारी राजा कंस द्वारा मारे गए. कंस मथुरा नगरी का राजा था, जो कि बहुत अत्याचारी, निर्दयी तथा क्रूर था. उसके राज्य में सभी लोग उसके अत्याचार से परेशान हो चुके थे. उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे. एक समय की बात है, अचानक एक आकाशवाणी हुई, और उस आकाशवाणी ने कहा कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा. यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी तथा उसके पति वासुदेव को बंदी गृह में डाल दिया. कंस ने देवकी के पहले के 7 बच्चों को मार डाला. जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा. श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ. अंततः श्री कृष्ण ने अत्याचारी मां कंस का वध करके लोगो को राहत पहुचायी.  

भगवान विष्णु के धरती पर श्री कृष्ण के रूप में जन्म लेने के बाद पाप और अंधकार का नाश हुआ. संसार में पाप का विनाश हुआ और प्रेम और भक्ति का पुनः जागरण हुआ. इसलिए भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिन को हम बड़ी ही खुशहाली से मानते है और श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को ही जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इसलिए लोग कृष्ण जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है? | How Krishna Janmashtami is celebrated?

जन्माष्टमी खुशियों का त्यौहार है. जन्माष्टमी का रूप सामान्यतः सभी जगह एक जैसा रहता है जैसे की पूजा, व्रत - उपवास, भजन - कीर्तन आदि. फिर भी कई जगह इनमे थोड़ी बहुत भिन्नता होती है. कई जगह इस दिन फूलों की होली खेली जाती है, कई जगह रंगों की भी होली खेली जाती है. जन्माष्टमी के दिन सुबह तड़के स्नान आदि करके लोग पूजा करते है, मंदिरो में जाते है. कई लोग घर पर कथा करवाते है. शाम होने पर भजन - कीर्तन करते है. जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का भी विधान है. अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है. जन्माष्टमी के पर्व पर झाकियों के रूप में श्रीकृष्ण का मोहक अवतार देखने को मिलते है. जन्माष्टमी के दिन मंदिर में झांकियां सजाई जाती हैं, भगवान श्रीकृष्ण को झूला झूलाया जाता है, रासलीला का आयोजन होता है. कई बड़े मंदिरों में भोज आदि का आयोजन किया जाता है.

श्री कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का महत्‍व | Shree Krishna Janmashtami Importance

कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का अपना एक विशेष अध्‍यात्मिक एवं सांकृतिक महत्व है. भगवान कृष्‍ण को योगेश्‍वर, मायापति जैसे नामों से संबोधित किया जाता है क्‍योंकि भक्‍तों की आस्‍था और विश्‍वास है कि भगवान कृष्‍ण उन्‍हें अध्‍यात्मिक चिंतन और अध्‍यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं. इस अध्‍यात्मिक शक्ति की सहायता से भक्‍त मोक्ष को प्राप्‍त कर सकते हैं. इस शक्ति कों संचित करने लिये इस पर्व का विशेष महत्‍व है. जन्माष्टमी पर व्रत-उपवास की परम्‍परा है, इसमें रोज के खान - पान से अलग फल आदि खाया जाता है, कुछ लोग सिर्फ पानी पिते है, जिससे हमारे पेट को भी आराम मिलता है और शरीर भी स्वस्थ रहता है. भजन - कीर्तन से मन को तो शांति मिलती ही है साथ में भक्ति सागर का रस भी प्राप्त होता है.

यह पर्व भारत के विभिन्‍न संस्‍कृतिक त्योहारों में से एक है. यह पर्व न सिर्फ देश बल्कि विदेशो में भी मनाया जाता है. इसलिये संपूर्ण देश को एक सूत्र में पिरोने में, एक बंधन में बांधने में, सामाजिक मूल्‍यों को बढ़ावा देने में जन्माष्टमी पर्व का विशेष भूमिका है. अनेकता में एकता के भारतीय परिदृश्‍य को यह स्‍पष्‍ट करता है. भरत के कई जगहों पर जन्माष्टमी पर दही हांड़ी का भी परंपरा रहा है, जो की समाज में आपसी जोल बढ़ता है.

जन्माष्टमी 2 दिन क्यों मनाया जाता है? | Why Janmashtami is celebrated for 2 days?

हिंदू पंचाग के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. इस दिन अष्टमी तिथि रहती है. वहीं भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, जिसके चलते कभी कभी अष्टमी तिथि और रोहिणी तिथि का दिन अलग-अलग होता है. यही कारण है की जिस वर्ष अष्टमी तिथि तथा रोहिणी नक्षत्र की तिथि अलग अलग होती है, उस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी २ दिनों तक मनाया जाता है.

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