Atal Tunnel Longest Highway Tunnel In The World - जानिए अटल टनल से जुडी सवाल और उनके जवाब

The World's Longest Highway Tunnel Atal Tunnel ( Rohtang Tunnel ): जानिए अटल टनल से जुडी हर सवाल और उनके जवाब जो शायद आप नहीं जानते 


अटल टनल विश्व का सबसे लम्बी भूमिगत टनल है. अटल टनल हिमाचल प्रदेश के रोहतांग इलाके में है. अटल टनल मनाली को लाहौल-स्पिति वैली से सीधे जोड़ेगा. अटल टनल के कारण मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है, और कम से कम 5 घंटे तक की समय की भी बचत होगी. अटल टनल की वजह से अब साल के किसी भी महीने में किसी भी मौसम में मनाली से लेह तक जाया जा सकता है. 

About Atal Tunnel Longest Highway Tunnel In The World
Atal Tunnel Longest Highway Tunnel In The World


क्यों कहा जाता है अटल टनल को इंजीनियरिंग का अजूबा?  | Why is the Atal Tunnel called a wonder of engineering?


अटल टनल को एक प्रकार का अजूबा भी कहा जा सकता है. इसने भारत का नाम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ाया है. अटल टनल इंजीनियरिंग का एक जीता जाता मिसाल है, जो भारतीय इंजीनियर और कारीगरों ने कर दिखाया है. अटल टनल ने दुनिया में एक रिकॉर्ड स्थापित किया है दुनिया का सबसे लम्बी भूमिगत टनल ( सुरंग ) होने का.


अटल टनल के उद्घाटन के पूर्व इसका नाम रोहतांग टनल था. अटल टनल विश्व का सबसे लम्बी भूमिगत टनल है. अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी टनल होने के साथ साथ समुद्र तट से 10 हजार 40 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है. अटल टनल हिमाचल प्रदेश के रोहतांग इलाके में है. अटल टनल ( सुरंग ) की लम्बाई 9.02 किमी है, और ऊंचाई 5.525 मीटर है. अटल टनल की चौड़ाई 10.5 मीटर है और इसके दोनों ओर 1-1 मीटर के फुटपाथ भी बनाए गए हैं. अटल टनल मनाली को लेह से सीधे जोड़ेगा. अटल सुरंग का दक्षिणी छोर मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है जबकि उत्तरी भाग 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है.



क्या है अटल टनल के सुरक्षा के पैमाने? कैसे अटल टनल यात्रियों को सुरक्षा मुहैया कराएगा? | What is the security scale of Atal Tunnel? How Atal Tunnel will provide safety to the passengers?


अटल टनल मनाली को लाहौल-स्पिति वैली से सीधे जोड़ेगा. अटल टनल के कारण मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है, और कम से कम 5 घंटे तक की समय की भी बचत होगी. अटल टनल की वजह से अब साल के किसी भी महीने में किसी भी मौसम में मनाली से लेह तक जाया जा सकता है. पहले भारी बारिश और कभी कभी भरी बर्फबारी की वजह से वैली 6 महीने तक रास्ता बंद हो जाता था. 


अटल टनल में और इसके आस पास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किया गया है. वर्त्तमान और भविष्य के जरूरतो को ध्यान में रखकर इसे बनाया गया है. टनल में अग्नि शमन, रोशनी और निगरानी के व्यापक इंतजाम किये गए हैं. इसके अंदर हर आधे किलोमीटर पर इमरजेंसी निकास टनल बनाई गई है, तथा दोनों छोर पर कंट्रोल रूम और बैरियर बनाया गया है. आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं. किसी भी परिस्थिति में दुर्घटना होने पर स्वत पता करने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगाई गयी है. हर 25 मीटर पर आपात निकास के संकेत है तथा पूरी सुरंग में हर 150 मीटर पर ४जी कनेक्टिविटी लगाया गया है. अटल टनल के अंदर फायर हाइड्रेंट भी लगाए गए हैं, जिसे किसी प्रकार की अनहोनी होने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. 



इस विशनरी टनल का सुभारम्भ कैसे हुआ? | How did this visionary tunnel get started?


हिमाचल प्रदेश का यह इलाका पहाड़ी और दर्रे के वजह से यहाँ किसी का ध्यान नहीं जाता था. यह इलाका हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा होने के कारण बारिश और बर्फबारी के मौसम में यातायात और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं पर प्रभाव पड़ता था. घाटी छह महीने तक भारी बारिश और भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी. सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत नुकसान होता था. सब मिलाकर आर्थिक, सामाजिक, और सुरक्षा का संकट था.


इसके महत्व को समझते हुए तब के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सुरंग ( टनल ) निर्माण का प्रस्ताव रखा. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आर्थिक और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय लिया. टनल बनाने का निर्णय जून 2000 में लिया गया था, और इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को सुरंग के दक्षिणी छोर पर रखी गयी. इसके बाद इसका काम जोरो शोरो से शुरू हुआ. तब इस टनल ( सुरंग ) का नाम रोहतांग सुरंग रखा गया. आगे चलकर कुछ कारणों से इसका काम रुक सा गया.


आगे चलकर जब 2014 में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद निमार्ण स्थल का दौरा कर निमार्ण कार्य का जायजा लिया, तो कार्य को तेजी देने के लिए उचित कदम उठाये. 24 दिसम्बर 2019 को पीएम मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अटल बिहारी वाजपेयी को सम्मान देने के लिए इस सुरंग का नाम रोहतांग सुरंग के बजाय अटल सुरंग रखने निर्णय लिया. यही कारण है की अटल टनल के उद्घाटन के पूर्व इसका नाम रोहतांग टनल था, बाद में अटल टनल पड़ा. अंततः सभी कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद 3 अक्टूबर 2020 को अटल टनल का उद्घाघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई.



पर्यटन के लिहाज से अटल टनल बेमिसाल कायम करेगी! | Atal Tunnel will set a benchmark in terms of tourism!


हिमाचल प्रदेश का मनाली का इलाका बेहद ही खूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है. यह जगह सैलानियों और पर्यटकों के लिए हमेशा से पसंदीदा रहा है. हर साल लाखो लोग मनाली घूमने जाते है. अगर बात लद्दाख के लेह इलाके की की जाये तो यह खुद में ही हमेशा से खास केंद्र रहा है. लम्बी दुरी की राइड, यहाँ के भौगोलिक तथा सांस्कृतिक माहौल पर्यटकों तथा सैलानियों को बहुत ही आकर्षित करते है.


अटल टनल के कारण यहाँ एक अलग ही उमंग दिखाई देगा. अटल टनल के कारण मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर से कम हो गई है, और कम से कम 5 घंटे तक की समय की भी बचत होगी. अटल टनल की वजह से अब साल के किसी भी महीने में किसी भी मौसम में मनाली से लेह तक जाया जा सकता है. अटल टनल खुद ही पर्यटकों के लिए घूमने का केंद्र बन गया है.



सुरक्षा और आर्थिक के दृष्टि से अहम् है अटल टनल! | Atal Tunnel is important from the point of view of security and economics!


जब अटल टनल नहीं था, तब यातायात बंद होने के कारण दोनों क्षेत्रो को काफी आर्थिक नुकसान होता था. जरुरी सामानों की जाही जाही रुक जाती थी. क्षेत्रो के सुरक्षा के लिए जरुरी सामान और सैन्य बल को आने लाने में बहुत दिक्कत होती थी. इससे देश की सुरक्षा और आर्थिक दोनों को नुकसान होता था.


अटल टनल बन जाने के बाद इन सब दिक्कतों से निजात मिली है. यातायात बढ़ जाने से लोगो को सुविधा भी प्राप्त हुई है. इमरजेंसी सुविधा में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. सैन्य सामान पहुंचने में मदद होगी. साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.



अटल टनल से जुडी कुछ सवाल और उनके जवाब | Few Questions and Answers related to Atal Tunnel


रोहतांग सुरंग ( अटल टनल ) परियोजना किसने शुरू की? | Who started Rohtang tunnel project?

सुरंग पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिन्होंने 2000 में इसे मंजूरी दी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अक्टूबर को 9.02 किलोमीटर लंबी अटल रोहतांग सुरंग का उद्घाटन किया.


क्या है अटल सुरंग परियोजना? | What is Atal tunnel project?

अटल टनल लद्दाख के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए सभी मौसमों में सड़क मार्गों की सुविधा प्रदान करेगी, और लाहौल, स्पीति और पांगी क्षेत्रों को पूरे वर्ष कनेक्टिविटी प्रदान करेगी.


अटल टनल का नाम अटल टनल क्यों और कैसे पड़ा? | Why is Atal Tunnel called the name Atal tunnel?

रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक सुरंग बनाने का ऐतिहासिक निर्णय 3 जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधान मंत्री थे. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2019 में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किए गए योगदान का सम्मान करने के लिए रोहतांग सुरंग को अटल सुरंग के रूप में नामित करने का निर्णय लिया.


रोहतांग सुरंग की लंबाई कितनी है? | What is the length of Rohtang tunnel?

अटल सुरंग की लंबाई 9.02 किलोमीटर है, जिसे समुद्रतल से 10,000 फीट ऊपर, दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग ( टनल ) कहा जाता है.


किस सुरंग का नाम बदलकर अटल सुरंग कर दिया गया है? | Which tunnel is renamed as Atal tunnel?

पीएम मोदी ने रोहतांग टनल का नाम बदलकर अटल टनल रखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान का सम्मान करते हुए रोहतांग टनल का नाम बदलकर अटल टनल रखा.


अटल सुरंग कितना समय बचाती है? | How much time does Atal tunnel save?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन की गई सभी मौसम अटल टनल मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी और यात्रा के समय को चार से पांच घंटे कम कर देगी.


अटल सुरंग का क्या उपयोग है? | What is the use of Atal tunnel?

सुरंग का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में लेह और लाहौल और स्पीति घाटियों के लिए एक सभी मौसम मार्ग बनाना है.



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