भारतीय संस्कृति की एक झलक | A glimpse of indian culture
भारतीय संस्कृति एक संस्कृति नहीं बल्कि सैकड़ों संस्कृतियों का एक समावेश है. भारत की संस्कृति विश्व की अत्यंत प्राचीन संस्कृति है. भारत की संस्कृति विभिन्न भाषाओं , मान्यताओं और क्षेत्रीय विविधताओं से युक्त है. भारत में संस्कृति का अर्थ है कि - भाषाओं, रीति-रिवाजों, परम्पराओ का एक दूसरे में स्थानांतरण.
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भारतीय संस्कृति के बारे में रोचक तथ्य Interesting facts about Indian culture |
भारतीय संस्कृति | Indian Culture
भारत 'विविधता में एकता' के भाव को पूर्ण करता एक विशाल देश है, जो पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण विविधता से भरा हुआ है. यहाँ हर ४०-५० किमी पर किसी न किसी बात पर विविधता दिखाई जरूर देगी. भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है, जो की यहाँ के लोगों, संस्कृति और मौसम में भी प्रमुखता से दिखाई देती है. उत्तर के हिमालय की बर्फ से लेकर दक्षिण के सागर की लहरों तक, पश्चिम के रेगिस्तान से पूर्व के नम डेल्टा तक, सूखी गर्मी से लेकर पहाड़ियों की तराई के मध्य पठार की ठंडक तक, भारतीय जीवनशैलियाँ इसके भूगोल की भव्यता स्पष्ट रूप से दर्शाती है. यहाँ के लोगों के परिधान, योजना और आदतें इसके उद्भव के स्थान के अनुसार अलग-अलग होते हैं.
संस्कृति के शब्दिक अर्थ की बात की जाए तो संस्कृति किसी भी देश, जाति और समुदाय की आत्मा मानी जाती है. संस्कृति से ही किसी देश, जाति या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है, जिनके सहारे वह अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों आदि का निर्वाह करता है. अत: संस्कृति का साधारण अर्थ होता है - संस्कार, सुधार, परिवार, शुद्धि, सजावट आदि. वर्तमान समय में सभ्यता और संस्कृति को एक-दूसरे का पयार्य माना जाने लगा है लेकिन वास्तव में संस्कृति और सभ्यता दोनों ही भिन्न - भिन्न होती है. सभ्यता में मनुष्य के राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकीय व दृश्य कला रूपों का प्रदर्शन होता है, जो जीवन को सुखमय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जबकि संस्कृति में कला, विज्ञान, संगीत, नृत्य और मानव जीवन की उच्चतम उपलब्धियाँ शामिल है.
भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है. माना जाता है कि भारतीय संस्कृति यूनान, रोम, मिस्र, सुमेर और चीन की संस्कृतियों के जितना ही प्राचीन है. भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत शामिल है. इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढालती भी आ रही है.
भारत का इतिहास और संस्कृति गतिशील है और यहाँ ही मानव सभ्यता की शुरूआत हुई थी. यह सिंधु घाटी की रहस्यमयी संस्कृति से शुरू होकर भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती है. भारत के इतिहास में भारत के आस-पास स्थित अनेक संस्कृतियों से लोगों का निंरतर आदान - प्रदान होता रहा है. उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार लोहे, तांबे और अन्य धातुओं के उपयेाग काफी शुरूआती समय में भी भारतीय उप-महाद्वीप में प्रचलित ये, जो दुनिया के इस हिस्से द्वारा की गई प्रगति का संकेत है. उपलब्ध तत्यो के आधार पर यह माना जाता है की भारत चौथी सहस्राब्दि बी.सी. के अंत तक एक अत्यंत विकसित सभ्यता के क्षेत्र के रूप में उभर चुका था.
भारतीय संस्कृति आरम्भ से ही समस्त मानव जाति का कल्याण चाहती है. भारतीय संस्कृति में प्राचीन गौरवशाली मान्यताओं एवं परंपराओं के साथ ही नवीनता का समावेश भी दिखाई देता है. भारतीय संस्कृति विभिन्न सांस्कृतिक धाराओं का महासंगम है, जिसमें सनातन संस्कृति से लेकर आदिवासी, तिब्बत, मंगोल, द्रविड़, हड़प्पाई और यूरोपीय धाराएँ समाहित हैं. ये धाराएँ भारतीय संस्कृति को इंद्रधनुषीय संस्कृति या गंगा-जमुनी तहज़ीब में परिवर्तित करती है.
भारत 'विविधता में एकता' के भाव को पूर्ण करता एक विशाल देश है, जो पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण विविधता से भरा हुआ है. अगर भारतीय संस्कृति के समन्वित रूप पर विचार करें तो इसमें विभिन्न विशेषताएँ देखने को मिलती हैं. भारतीय संस्कृति में अध्यात्म एवं भौतिकता’ में समन्वय नजर आता है. भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल में मनुष्य के चार पुरूषार्थों धर्म, अर्ध, काम, मोटर्स एवं चार आश्रमों- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास का उल्लेख है, जो आध्यात्मिकता एवं भौतिक पक्ष में समन्वय लाने का प्रयास है. उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्कृति ने अनेक जातियों के श्रेष्ठ विचारों को अपने में समेट लिया है. भारतीय संस्कृति में यहां के मूल निवासियों के समन्वय की प्रक्रिया के साथ ही बाहर से आने वाले शक, हूण, यूनानी एवं कुषाण भी यहां की संस्कृति में घुल-मिल गए हैं. अरबों, तुर्कों और मुगलों के माध्यम से यहाँ इस्लामी संस्कृति का आगमन हुआ. इसके बावजूद भारतीय संस्कृति ने अपना पृथक अस्तित्व बनाए रखा और नवागत संस्कृतियों की अच्छी बातों को उदारतापूर्वक ग्रहण किया. आज हम भाषा, खानपान, पहनावे, कला, संगीत आदि हर तरह से गंगा-जमुनी तहजीब या यूँ कहें कि वैश्विक संस्कृति के नमूने हैं. कौन कहेगा कि सलवार-सूट ईरानी पहनावा है या हलवा, कबाब, पराठे, ‘शुद्ध भारतीय व्यंजन नहीं हैं.
इस बिंदु पर विचार करना जरूरी है कि हड़प्पाकालीन सभ्यता की पंरपराएँ एवं प्रथाएँ आज भी भारतीय संस्कृति में देखने को मिल जाती है, यथा-मातृदेवी की उपासना, पशुपतिनाथ की उपासना, यांग-आसन की परंपरा इत्यादि. इसके अलावा भारतीय संस्कृति में ‘प्रकृति मानव सहसंबंध’ पर बल दिया गया है. हमारी संस्कृति मानव, प्रकृति और पर्यावरण के अटूट एवं साहचर्य संबंधों को लेकर चलती है. भारतीय उपनिषदों में ‘ईशावास्यइंद सर्वम्’ अर्थात् जगत् के कण-कण में ईश्वर की व्याप्तता को स्वीकार किया गया है.
यहाँ के विभिन्न विचारकों एवं महापुरूशों ने भारतीय संस्कृति को समन्वित रूप प्रदान करने वाले विचार प्रस्तुत किये हैं. फिर चाहे बुद्ध, तुलसीदास हो या गांधी जी, इन सभी को भारतीय संस्कृति के नायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है, तथा ये सभी चरित्र भारतीय संस्कृति को समन्वित स्वरूप देते हैं. भारत की विभिन्न कलाओं, जैसे- मूर्तिकला, नृत्यकला, चित्रकला, लोकसंस्कृति इत्यादि में भारतीय संस्कृति के समन्वित स्वरूप को देखा जा सकता है. विभिन्न धर्म, पंथों एवं वर्गों के लोगों का नेतृत्व इन कलाओं में दृष्टिगोचर होता है, जैसे- मध्यकाल में इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला और आधुनिक काल में विक्टोरियन शैली. भारतीय संस्कृति का समन्वित रूप केवल भौगोलिक-राजनीतिक सीमाओं में ही नहीं है बल्कि उसके बाहर भी है. भारत के अंदर बौद्ध, जैन, हिंदू, सिख, मुस्लिम, ईसाई आदि धर्मों के लोग एवं उनके पूज्य-स्थल हैं, जो ‘शांतिपूर्ण’ सहअस्तित्व को दर्शाते हैं.
विदित हो कि संस्कृति का स्वरूप ‘साहित्य’ में सबसे अधिक समर्थयपूर्ण तरीके से अभिव्यंजित होता है. संस्कृति साहित्य कर प्राण है. साहित्य की विभिन्न विधाओं में संस्कृति के प्रभाव को देखा जा सकता है. यहाँ की संस्कृति के आधारभूत मूल्य दया, करूणा, प्रेम, शांति, सहिष्णुता, लचीलापन, क्षमाशीलता इत्यादि को भारतीय साहित्य में समुचित तरीके से अभिव्यक्ति दी गयी है. भारतीय संस्कृति का यह समन्वित रूप संस्कृति भाषा के माध्यम से रामायण, महाभारत, गीता, कालिदास-भवभूति-भास के काव्यों और नाटकों, के माध्यम से बार-बार व्यक्त हुआ है. तमिल का संगम साहित्य, तेलुगु का अवधान साहित्य, हिंदी का भक्ति साहित्य, मराठी को पोवाड़ा, बंगला का मंगल नीति आदि भारतीय उद्यान के अनमोल फूल हैं. इनकी संयुक्त माला निश्चय ही ‘समेकित भारतीय संस्कृति’ का प्रतिनिधित्व करती है. तुलसीदास मध्यकाल में भारतीय संस्कृति के समन्वय के सबसे बड़े कवि के रूप में नजर आते हैं.
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भारतीय संस्कृति के बारे में रोचक तथ्य Interesting facts about Indian culture |
भारतीय संस्कृति के बारे में रोचक तथ्य
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह
- संस्कृति सदियों से चली आ रही है. जब कोई संस्कृति धरती पे उत्पन्न भी नहीं थी, तब भी यह संस्कृति सिंद्धु घाटी के रूप में विद्यमान थी, और आज भी है. जिस प्रकार मेसोपोटामिया की सभ्यता में लिंग पूजा , वृक्ष पूजा, जल पूजा, प्रकृति पूजा, मातृदेवी पूजा विद्यमान थी ठीक उसी प्रकार आज भी हमारी संस्कृति में इन पूजा पाठो की परंपरा विद्यमान है.
- भारतीय संस्कृति एक संस्कृति नहीं बल्कि सैकड़ों संस्कृतियों का एक स्पेक्ट्रम है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि भारतीय संस्कृति विविधता जैसा दुनिया का और कोई देश नहीं है.
- यहां पर हर 40 - 50 किमी पर मान्यताएं बदल जाती हैं. भारत की खासियत रही है कि यह अपनी मान्यता से सर्वथा विपरीत मान्यता को भी बड़ी सहजता से स्वीकार कर लेता हैं.
- भारत की सांस्कृतिक विविधता ही इस देश को महान बनाती है. हम ३३ करोड देवी देवताओं को मानने वाले लोग भी एकेश्वर वाद पर पूरी तरह विश्वास करते हैं, और सभी तरह की आध्यात्मिक मान्यताओं धारणाओं को सहजता से लेते हैं.
- भारत में दुनिया का सबसे अधिक और विविध व्यंजन है. यह आश्चर्यजनक है कि कैसे एक राज्य या यहां तक कि शहर का व्यंजन दूसरे से अलग होती है.
- यूरोप के पूरे महाद्वीप की तुलना में भारत में अधिक भाषाएं बोली जाती हैं.
- भारत में हजारों सालों से कला, संगीत और संस्कृति की बेहद समृद्ध विरासत है.
- भारतीयों ने गणित व खगोल विज्ञान पर प्रामाणिक व आधारभूत खोज की. कई वैज्ञानिक, भौगोलिक तथ्यों की खोज भारत में ही हुई है.
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