Aatmanirbhar Bharat Abhiyan | आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है

क्या है आत्मनिर्भर भारत अभियान ( Self - Reliant India Mission ) की संकल्पना और कैसे यह काम करेगा 


आत्मनिर्भर भारत अभियान भारत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की एक मुहीम है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए मजबूत इकॉनमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, तकनीक आधारित व्यवस्था, विविधतापूर्ण आबादी और बड़ी मांग भारत की आत्मनिर्भरता के स्तंभ होंगे. जब भारत आत्मनिर्भर बनने की बात करता है, तो वह स्व-केंद्रित प्रणाली की वकालत नहीं करता है. भारत की आत्मनिर्भरता में; पूरी दुनिया की खुशी, सहयोग और शांति की बात है. 


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आत्मनिर्भर भारत अभियान - Self Reliant India Mission


आत्म निर्भर भारत ( Self Reliant India )


आत्मनिर्भर होना एक युवा के साथ साथ एक देश और राज्य के लिए भी होना बहुत ही जरूरी है. क्योंकि जब देश आत्मनिर्भर होगा तो वह हमेशा ही अपने विकास के रास्ते पर नये कदम लेता रहेगा और उसे किसी भी अन्य पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं रहेगी.

वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता (Self Reliance) की परिभाषा में बदलाव आया है. आत्मनिर्भरता (Self-Reliance), आत्म-केंद्रित (Self-Centered) से अलग है. 

भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्‌’ की संकल्पना में विश्वास करता है. चूँकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, अतः भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान देता है.

आत्मनिर्भर भारत अभियान का लक्ष्य देश को आत्मनिर्भर, मजबूत अर्थव्यवस्था और इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ खड़ा करना है. किसी भी अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और आत्मनिर्भरता की अहमियत बहुत ज्यादा है. आत्मनिर्भरता के मंत्र से ही 21वीं सदी को भारत की शताब्दी में तब्दील कर सकते हैं. 


कैसे शुरुआत हुई आत्मनिर्भर भारत अभियान योजना


जैसे की आप सब जानते ही है की कोरोना वायरस का असर आज पूरी दुनिया में हो रहा है जिस कारण दुनिया के अलग अलग देशो में लोकडाउन लगाया जा रहा है. भारत में लॉक डाउन के कारण बहुत से प्रवासी मजदूरों को अपने घर को जा रहे है. किसानो की फसलों को भी इस बार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लॉक डाउन के चलते किसान अपने फसलों को मंडी तक नहीं पहुंचा पा रहे है, जिस कारण ना तो किसानो फसल बिक रही ना ही उन्हें आमदनी प्राप्त हो रही है. भारत में छोटे -बढ़े जो भी उद्योग है उनको बंद करना पड़ा है. इसके कारण इन उद्योगों में काम करने वाले ब्यक्तियो का भी आय का साधन रुक गया है, जिस कारण सबकी आर्थिक स्थिति खराब हो रखी है. 

माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित नए भारत की परिक्रमण भारत अभियान या आत्मनिर्भर भारत अभियान है। 12 मई 2020 को, हमारे पीएम ने राष्ट्र के लिए एक स्पष्ट आह्वान किया, और आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की. 

आत्मनिर्भर भारत अभियान योजना के तहत उन सबको लाभ दिया जायेगा, जिन भी लोगो को लॉक डाउन के कारण रोजी - रोटी की समस्या पड़ रही है उन्हें सरकार द्वारा मुफ्त अनाज और राहत सामग्री दिया जायेगा. सरकार का यही उद्देश्य है की लोगो को संक्रमण के चलते ज्यादा परेशानी न हो और उन्हें घर में ही अधिक से अधिक सुविधाएँ प्राप्त हो जाये. जिससे की हम कोरोना संक्रमण से लड़ने में सक्षम हो सके और देश के सभी लोग आत्मनिर्भर बन सके. 

आत्मनिर्भर भारत अभियान योजना यह भी ध्यान रखा जा रहा है की जो व्यक्ति जहा पर भी है उसे वही पर रोजगार की प्राप्ति हो. covid-19 संकट का सामाना करने के लिए सरकार दिन प्रतिदिन कुछ न कुछ योजनाओ का शुभारम्भ करती है ताकि हमारा देश विकास की और बढ़े और विभिन्न वर्गो को एक साथ जोड़ा जाये, और देश को विकास की एक गति मिल सके. इस योजना के अंतर्गत लघु कुटीर उद्योग, मजदूर, किसान आदि पर विशेष ध्यान दिया जायेगा और उन्हें आजीविका के लिए आय का साधन प्राप्त होंगे. 


किसने किया आत्मनिर्भर भारत अभियान योजना का शुभारम्भ  


12 मई को, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में कड़ी प्रतिस्पर्धा के खिलाफ स्वतंत्र बनाने के उद्देश्य से 20 लाख करोड़ रुपये (भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 10% के बराबर) के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की. इस पैकेज को आत्मनिर्भर भारत अभियान का नाम दिया गया है. इससे गरीबों, मजदूरों, प्रवासियों को सशक्त बनाने में मदद करने के लिए जो covid 19 से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं. उन्होंने आगे भी आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों - अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग को रेखांकित किया. 

इस घोषणा के बाद, वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण ने पाँच प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आर्थिक पैकेज के तहत विस्तृत उपायों की घोषणा की. यह नोट आर्थिक पैकेज के तहत प्रस्तावित प्रमुख उपायों को संक्षेप में प्रस्तुत करता है. सरकार ने कृषि, तर्कसंगत कर प्रणाली, सरल और स्पष्ट कानून, सक्षम मानव संसाधन और मजबूत वित्तीय प्रणाली के लिए आपूर्ति श्रृंखला सुधार जैसे कई साहसिक सुधार किए.

इस राहत पैकेज की खास बात यह है कि उन्होंने किसी को भी नगद बहुत कम दिया, लेकिन अर्थव्यवस्था के सम्यक संचालन का जो अभूतपूर्व दृष्टिकोण दिया, उससे न तो देश घाटे में रहेगा, न ही किसी को आगे वित्तीय मनमानी करने की छूट मिलेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि इस बड़े राहत पैकेज से भारत में लोगों को कामकाज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और यह कोशिश की जाएगी कि अगले कुछ सालों में भारत अपनी जरूरत की अधिकतर चीजों के लिए खुद पर निर्भर हो जाए. इस हिसाब से अभियान का नाम आत्मनिर्भर भारत अभियान रखा गया है.


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आत्मनिर्भर भारत अभियान मिशन के चरण:


‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं किया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी. मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा. प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके. द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा. मिशन को अलग - अलग चरणों में लागू किया जाएगा:


प्रथम चरण: 

इसमें चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके.


द्वितीय चरण: 

इस चरण में फर्नीचर, फूट वेयर और एयर कंडीशनर, पूंजीगत सामान तथा मशीनरी, मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक, रत्न एवं आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल आदि शामिल हैं.


तृतीय चरण:

इस चरण में हाउसिंग फॉर ऑल (शहरी), बूस्ट फॉर रूरल एंप्लॉयमेंट, R&D ग्रांट फॉर COVID सुरक्षा-इंडियन वैक्सीन डेवलपमेंट, इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियल इंसेंटिव एंड डोमेस्टिक डिफेंस इक्विपमेंट, बूस्ट फॉर प्रोजेक्ट एक्सपोर्ट, बूस्ट फॉर आत्मनिर्भर मैन्युफैक्चरिंग, सपोर्ट फॉर एग्रीकल्चर, बूस्ट फॉर इंफ्रास्ट्रक्चर, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना आदि शामिल है.


आत्मनिर्भर भारत अभियान के पाँच स्तम्भ 


किसी भी देश को विकसित व आत्मनिर्भर बनाने के लिए 5 चीजे आवश्यक होती है- अर्थव्यवस्था ( इकॉनमी ), जनसांख्यिकी, प्रणाली, आधारिक संरचना ( इन्फ्रास्ट्रक्चर ), मांग और पूर्ति. ये आत्मनिर्भर भारत 5 मूल मंत्र है. इसके साथ ही संरक्षणवाद की आशंकाओं को दूर करते हुए पीएम ने कहा कि आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वकेंद्रित होना नहीं है बल्कि हमारा लक्ष्य दुनिया में शांति और समृद्धि पैदा करना है.


अर्थव्यवस्था (Economy):

जो वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) के स्थान पर बड़ी उछाल (Quantum Jump) पर आधारित हो यानी एक ऐसी अर्थव्यवस्था जो छोटे-छोटे परिवर्तन (इंक्रिमेंटल चेंज) नहीं, बल्कि ऊँची छलांग (क्वांटम जंप) लाए.

बुनियादी ढांचा (Infrastructure):

ऐसी अवसंरचना जो आधुनिक भारत की पहचान बने. एक ऐसा बुनियादी ढांचा, जो आधुनिक भारत की पहचान बने. विदेशी कंपनियों को आकर्षित कर सके.

प्रौद्योगिकी (Technology): 

21 वीं सदी प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था पर आधारित प्रणाली यानी एक ऐसा सिस्टम, जिसमें आधुनिक तकनीक को अपनाने और समाज में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाना शामिल है.

गतिशील जनसंख्यिकी (Vibrant Demography):

जो आत्मनिर्भर भारत के लिये ऊर्जा का स्रोत है. भारत की जीवन्त जनसांख्यिकी हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए ऊर्जा का स्रोत है.

मांग (Demand):

भारत की मांग और आपूर्ति श्रृंखला की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिये. भारत के पास बड़ा घरेलू बाजार और मांग है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है. 


आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत लांच की गई योजनाएं 


आत्मनिर्भर भारत अभियान 1.0 के अंतर्गत लांच की गई योजनाएं:

  • वन नेशन वन राशन कार्ड
  • पीएम सवनिधि योजना
  • किसान क्रेडिट कार्ड योजना
  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
  • नाबार्ड के माध्यम से इमरजेंसी वर्किंग कैपिटल फंडिंग किसानों के लिए
  • इसीएलजीएस१.0
  • पार्शियल क्रेडिट गारंटी स्कीम २.0
  • स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम फॉर एनबीएफसी/एचएफसी
  • लिक्विडिटी इंजेक्शन फॉर डिस्कम्स 


आत्मनिर्भर भारत अभियान 2.0 के अंतर्गत लांच की गई योजनाएं:

  • फेस्टिवल एडवांस
  • एलटीसी कैश वाउचर स्कीम
  • मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट तथा मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस को - 25000 करोड रुपए एडिशनल कैपिटल एक्सपेंडिचर के तौर पर प्रदान किए गए हैं.
  • देश के 11 राज्यों को कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए 3621 करोड़ रुपए का लोन प्रदान किया गया है.


आत्मनिर्भर भारत के लिये आर्थिक प्रोत्साहन


प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. यह पैकेज COVID-19 महामारी की दिशा में सरकार द्वारा की गई.

पूर्व घोषणाओं तथा RBI द्वारा लिये गए निर्णयों को मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपये का है, जो भारत की ‘सकल घरेलू उत्पाद’ (Gross domestic product- GDP) के लगभग 10% के बराबर है. पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों (Land, Labour, Liquidity and Laws- 4Is) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.


जीडीपी के 10 फीसदी के बराबर का पैकेज

पीएम मोदी ने पैकेज की घोषणा करते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में अहम योगदान देगा. उन्होंने कहा कि इस अभियान में भूमि, मजदूर, नकदी और कानूनों पर पूरा ध्यान दिया जाएगा. इसका सीधा अर्थ यह है कि आने वाले दिनों में परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण आसान होगा. सरकार श्रम सुधारों की ओर बढ़ेगी, मार्केट में कैश फ्लो बढ़ाया जाएगा और कानूनों को सरल किया जाएगा ताकि आसानी से उद्योगों की स्थापना हो सके. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि बुधवार से ही वित्त मंत्री की ओर से इस पैकेज की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी जाने लगेगी.


आत्मनिर्भर भारत के लिये उठाये गए कदम 


आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के कल्याण के लिए कुल 16-घोषणाएं की गईं ; गरीबों, श्रमिकों और किसानों के लिए अनेक घोषणाएं की गईं जिनमें किसानों की आय दोगुनी करने के लिए की गई 11 घोषणाएं भी शामिल हैं.


तकनीकी हस्तक्षेप में वृद्धि

भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की स्थापना के माध्यम से दो मुख्य लक्ष्यों (औद्योगिक विकास और रोज़गार) को प्राप्त करने का प्रयास किया गया.

वर्तमान में वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्द्धा के इस दौर में सरकारों को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा.

वर्तमान में कोविड-19 के कारण बदली हुई परिस्थितियों में अधिकांश कंपागियों में ‘ऑटोमेशन’ घर से काम करने और अनुबंधित कामगारों को अधिक प्राथमिकता देंगी.

ऐसे में आधुनिक तकनीकी प्रगति के अनुरूप कुशल श्रमिकों की मांग को पूरा करने और लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराने हेतु कौशल विकास के कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देना होगा.


उत्पादन श्रृंखला में भागीदारी

औद्योगिक विकास के साथ-साथ ही उत्पादन के स्वरूप और कम्पनीयों/उद्योगों की कार्यशैली में बड़े बदलाव होंगे.

ऐसे में कृषि और अन्य क्षेत्रों को इन पाविर्तनों के अनुरूप तैयार कर औद्योगिक विकास के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान दिया जा सकता है.

उदाहरण के लिये विभिन्‍न प्रकार के कृषि उत्पादों की पैकेजिंग या उनसे बनने वाले अन्य उत्पादों के निर्माण हेतु स्थनीय स्तर पर छोटी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देकर औद्योगिक उत्पादन श्रृंखला में ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है.


सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग’ के लिये क्रेडिट गारंटी (Micro, Small and Medium Enterprises - MSMEs)


हाल ही में MSMEs तथा अन्य क्षेत्रों के लिये सरकार द्वारा विभिन्न क्रेडिट गारंटी योजनाओं की घोषणा की गई.


क्रेडिट गारंटी:

बैंकों द्वारा MSMEs को दिया जाने वाला अधिकतर ऋण MSMEs की परिसंपत्तियों (संपार्श्विक के रूप में) के आधार पर दिया जाता है. लेकिन किसी संकट के समय इस संपत्ति की कीमतों में गिरावट हो सकती है तथा इससे MSMEs की ऋण लेने की क्षमता बाधित हो सकती है. अर्थात किसी संकट के समय परिसंपत्तियों की कीमतों में गिरावट होने से बैंक इन उद्यमों की ऋण देना कम कर देते हैं.

सरकार द्वारा इस संबंध में बैंकों को क्रेडिट गारंटी दी जाती है कि यदि MSMEs उद्यम ऋण चुकाने में सक्षम नहीं होते हैं तो ऋण सरकार द्वारा चुकाया जाएगा. उदारणतया यदि सरकार द्वारा एक फर्म को 1 करोड़ रुपए तक के ऋण पर 100% क्रेडिट गारंटी दी जाती है इसका मतलब है कि बैंक उस फर्म को 1 करोड़ रुपए उधार दे सकता है. यदि फर्म वापस भुगतान करने में विफल रहती है, तो सरकार 1 करोड़ रुपए का भुगतान बैंकों को करेगी. 


MSMEs की परिभाषा में बदलाव


परिभाषा में बदलाव क्यों?

MSME की परिभाषा में बदलाव किया गया है क्योंकि ‘आर्थिक सर्वेक्षण’ के अनुसार लघु उद्यम लघु ही बने रहना चाहते हैं क्योंकि इससे इन उद्योगों को अनेक लाभ मिलते हैं. अत: MSME की परिभाषा में बदलाव की लगातार मांग की जा रही है.


परिभाषा के नवीन मापदंड

  • निवेश सीमा को संशोधित किया गया है.
  • कंपनी के टर्नओवर को मापदंड के रूप में जोड़ा गया है.
  • निर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच अंतर को समाप्त किया गया है.


निजी क्षेत्र को बढ़ावा

केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार, सरकार द्वारा प्रस्तावित नई नीति के तहत रणनीतिक क्षेत्रों के साथ ही सभी औद्योगिक क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया जाएगा.

इस नई नीति के तहत ऐसे रणनीतिक क्षेत्रों की सूची जारी की जाएगी जहाँ निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ कम-से-कम एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी/उपक्रम (Public Sector Undertakings- PSUs) की उपस्थिति आवश्यक होगी.

सरकार की योजना के तहत अन्य सभी क्षेत्रों में व्यवहारिकता के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा.

प्रस्तावित योजना के तहत सामान्यतः रणनीतिक क्षेत्रों में PSUs की अधिकतम संख्या चार ही होगी बाकी अन्य कंपनियों के लिये निजीकरण, विलय आदि के विकल्प खुले होंगे.

वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में भी केंद्रीय वित्तमंत्री ने गैर-वित्तीय सार्वजनिक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को 51% से कम करने की बात कही थी.


शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी योजनाएँ

  • COVID-19 और लॉकडाउन के कारण हो रहे अकादमिक नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा ‘पीएम ई-विद्या’ (PM e-Vidya) योजना की घोषणा की जाएगी.
  • इस योजना के तहत छात्रों को विभिन्न माध्यमों के जरिये शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, साथ ही कक्षा 1 से 12 के लिये अलग-अलग टीवी चैनलों की शुरुआत भी की जाएगी.
  • इससे पहले केंद्र सरकार ने इस माह के अंत तक देश में शीर्ष के 100 विश्वविद्यालयों के द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं को चालू किये जाने की योजना की घोषणा की थी. 


'मेक इन इंडिया' को प्रोत्साहन 

प्रधानमंत्री ने 4 जुलाई, 2020 को ऐप के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए 'ऐप इनोवेशन चैलेंज' लॉन्च किया. एप इनोवेशन चैलेंज का मंत्र है ‘भारत में भारत और विश्व के लिए बनाओ' (मेक इन इंडिया फॉर इंडिया एंड द वर्ल्ड).

भारत आज पीपीई किट का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है. सीएसआईआर-एनएएल ने 35 दिनों के भीतर बाईपैप वेंटिलेटर का विकास किया. वस्त्र समिति (मुंबई) ने पूर्ण रूप से स्वदेशी डिजाइन और ‘मेक इन इंडिया’ वाला पीपीई जांच उपकरण बनाया. बिजली क्षेत्र में ट्रांसमिशन लाइन टॉवर से लेकर, ट्रांसफार्मर और इन्सुलेटर तक देश में ही बनाने पर जोर दिया गया है. सभी सेवाओं में सरकारी खरीद व अन्य के लिए ‘मेक इन इंडिया’ नीति में संशोधन किया गया है. रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया जाएगा. एक निश्चित समयावधि के भीतर आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए हथियारों / प्लेटफार्मों की एक सूची को अधिसूचित किया जाएगा. आयातित पुर्जों का स्वदेशीकरण किया जाएगा और इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान किया जाएगा. आयुध निर्माणियों (ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों) को कॉर्पोरेट का दर्जा दिया जाएगा और उनको शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध किया जाएगा.


कंस्ट्रक्शन तथा इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को सहायता

सरकार द्वारा परफॉर्मेंस सिक्योरिटी को 5 से 10% से घटाकर 3% कर दिया गया है. इससे कंस्ट्रक्शन तथा इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों के पास काम करने के लिए कैपिटल अधिक होगा. अब टेंडर भरने के लिए ईएमडी की जरूरत नहीं होगी. इसकी जगह बिड सिक्योरिटी डिक्लेरेशन की जाएगी. यह सुविधा 31 दिसंबर 2021 तक प्रदान की जाएगी.

प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 18000 करोड रुपए का अतिरिक्त योगदान करने का निर्णय लिया गया है. यह 18000 करोड रुपए 2020-21 के 8000 करोड़ के बजट से अलग होंगे. इस योजना के अंतर्गत 1200000 घरों को स्थापित किया जाएगा तथा 1800000 घरों को पूरा किया जाएगा.


आत्मनिर्भर भारत अभियान के लाभार्थी

  • किसान
  • गरीब नागरिक 
  • काश्तगार
  • प्रवासी मजदुर
  • कुटीर उद्योग में काम करने वाले नागरिक
  • लघु उद्योग
  • मध्यमवर्गीय उद्योग
  • मछुआरे
  • पशुपालक
  • संगठित क्षेत्र व् असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति 


आत्मनिर्भर भारत अभियान राहत पैकेज का लाभ

  • फैक्ट्री से जुड़े 3.8 करोड़ लोगो को इस योजना का लाभ मिलेगा.
  • टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े 4.5 करोड़ लोगो को आर्थिक मदद दी जाएगी.
  • MSME से जुड़े 11 करोड़ लोगो को फायदा.
  • इस योजना से भारत के 10 करोड़ मजदूरों को लाभ प्राप्त होगा.
  • ये योजना लघु उद्योग, कुटीर उद्योग,गृह उद्योग के लिए है जिसे करोडो लोगो को रोजगार मिलता है.
  • आर्थिक राहत पैकेज में गरीब मजदूर, कर्मचारियों के साथ ही होटल तथा इंडस्ट्री से जुड़े लोगो को फायदा होगा.  


आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत राहत पैकेज के अंतर्गत महत्वपूर्ण क्षेत्र

  • मेक इन इंडिया ( make in india mission )
  • निवेश को प्रेरित करना (Provide Good Investment Opportunities)
  • सरल और स्पष्ट नियम कानून (Rational Tax System)
  • नए व्यवसाय को प्रेरित करना (To Motivate New Business)
  • उत्तम आधारिक संरचना (Reformation Of Infrastructure)
  • समर्थ और संकल्पित मानवाधिकार ( Capable Human Resources)
  • बेहतर वित्तीय सेवा (A Good Financial System)
  • कृषि प्रणाली (Reformation Of Agricultural Supply Chain & System) 


ऑक्सफोर्ड ने आत्मनिर्भर भारत पुश के बाद 2020 के हिंदी शब्द के रूप में आत्मनिर्भर का नाम चूना 


क्या है ऑक्सफोर्ड हिंदी शब्द

वर्ष का ऑक्सफोर्ड हिंदी शब्द एक ऐसा शब्द या अभिव्यक्ति है जिसे चल रहे वर्ष के लोकाचार, मनोदशा या पूर्वाग्रहों को प्रतिबिंबित करने के लिए चुना जाता है, और जिसमे सांस्कृतिक महत्व के एक शब्द के रूप में स्थायी क्षमता होती है.

आत्मनिर्भरता को भाषा विशेषज्ञों के एक सलाहकार पैनल द्वारा चुना गया था, और इसे ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेस ने अपने हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर 2020 के रूप में चिन्हित किया गया है. आत्मनिर्भर भारत पर जोर देने के बाद, इस विशेष शब्द को ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज ने अपने हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर 2020 के रूप में नामित किया है, क्योंकि यह अनगिनत भारतीयों की दिन-प्रतिदिन की उपलब्धियों को मान्य करता है.


Source: PIB 


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